EC ने लगाया 72 घंटो का बैन तो साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपनाया 'योगी फॉर्मूला- मंदिर जाकर की पूजा और गाय भजन
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (Photo Credits: IANS)

भोपाल: भारतीय जनता पार्टी (BJP) उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Thakur) पर चुनाव आयोग ( Election Commission ) ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन ( Model Code of Conduct) करने मामले में 72 घंटे की रोक लगा दी है. लेकिन साध्वी ने इस बैन का भी तोड़ निकाल लिया और वे अब मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना करने लगी हैं. इसी कड़ी में साध्वी दुर्गा मंदिर में पहुंच गई और पूजा करने के बाद भजन भी गईं. साध्वी प्रज्ञा ने ठीक उसी फार्मूले को अपनाया है जिसे उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपनाया था, जब उनके उपर चुनाव आयोग ने प्रचार के दौरान बैन लगाया था.

बता दें कि भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी अभियान पर 72 घंटे की रोक लगा दी। यह रोक गुरुवार सुबह छह बजे से अगले 72 घंटे तक जारी रहेगी. साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के चुनावी अभियान पर रोक धार्मिक आधार पर वोट मांगने को लेकर लगाई गई है, जिसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना गया है. चुनाव आयोग ने बुधवार को जारी अपने आदेश में उनके बयान की कड़ी निंदा की और उन्हें भविष्य में इस प्रकार का कदाचार नहीं दोहराने की चेतावनी दी.

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प्रज्ञा ठाकुर इन बयानों पर मचा घमासान

गौरतलब हो कि प्रज्ञा ठाकुर ने एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा था कि वह उन लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया था और उनको इस कार्य को लेकर गर्व है. प्रज्ञा ने चैनल से कहा, हमने देश से एक कलंक को मिटाया. हम ढांचा को गिराने गए. मुझे काफी गर्व है कि ईश्वर ने मुझे यह मौका दिया और मैं इस कार्य को कर सकी. हम विश्वास दिलाते हैं कि उस स्थल पर राममंदिर का निर्माण होगा.

इससे पहले एटीएस के पूर्व प्रमुख करकरे को उन्होंने शाप दिया था, इसलिए वह मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हुए हमले में आतंकियों के हाथों मारे गए. इस बयान की तीखी निंदा होने पर ठाकुर ने बाद में माफी मांगी और स्वीकार किया कि करकरे एक शहीद हैं. बीजेपी ने उनके इस बयान से खुद को दूर कर लिया.

49 वर्षीय प्रज्ञा ठाकुर मालेगांव बम धमाका मामले में आरोपी हैं. 2006 में हुई इस घटना में छह लोग मारे गए थे और करीब 100 लोग घायल हो गए थे. वह मामले में इस समय जमानत पर हैं और मालेगांव की घटना में मारे गए लोगों में से एक के पिता ने उनकी उम्मीदवारों को अदालत में चुनौती दी है.