10 Years Jail for Pro-ISIS Tweets: आईएसआईएस के समर्थन में ट्वीट करता था शख्स, कोर्ट ने सुनाई 10 साल जेल की सजा

बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने हाल ही में एक व्यक्ति को ISIS की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए ट्विटर हैंडल चलाने का दोषी पाया और उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत अपराध के लिए दस साल की कैद की सजा सुनाई.

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10 Years Jail for Pro-ISIS Tweets: बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने हाल ही में एक व्यक्ति को इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए ट्विटर हैंडल चलाने का दोषी पाया और उसे गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत अपराध के लिए दस साल की कैद की सजा सुनाई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गंगाधर सी एम ने पाया कि मेहदी मसरूर बिस्वास ने आईएसआईएस की गतिविधियों का समर्थन करने के लिए हजारों पोस्ट ट्वीट और रीट्वीट किए थे और आईएसआईएस सेनानियों को शहीदों के रूप में महिमामंडित किया था. HC On Non Hindus in Mandir: मंदिर पिकनिक स्पॉट नहीं; हिंदुओं को बिना किसी हस्तक्षेप के अपने धर्म का पालन करने का अधिकार.

अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि उनके ट्वीट और रीट्वीट से यह भी संकेत मिलता है कि उन्होंने मुस्लिम युवाओं को आईएसआईएस में शामिल होने का सुझाव देकर आतंकवादी कृत्यों के लिए भर्ती किया था या भर्ती करवाया था.

ISIS को सपोर्ट करता था शख्स 

इस मामले में, अभियोजन पक्ष ने यह दिखाने के लिए सबूत पेश किए हैं कि आईएसआईएस लड़ाकों ने विस्फोटक पदार्थों का इस्तेमाल किया और लोगों की मौत का कारण बना और सीरिया, ईरान और इराक के लोगों में आतंक फैलाने के इरादे से संपत्तियों को भी नष्ट कर दिया और इस तरह आतंकवादी कृत्य किया. आरोपियों ने विदेश में आतंकवादी कृत्य करने के इरादे से व्यक्तियों को आईएसआईएस में भर्ती किया और भर्ती करवाया.''

2014 में किया गया गिरफ्तार

बी.टेक ग्रेजुएट बिस्वास को दिसंबर 2014 में गिरफ्तार किया गया था जब बेंगलुरु पुलिस को जानकारी मिली थी कि ट्विटर हैंडल @shamiwitness के पीछे उनका ही दिमाग था. उन पर यूएपीए, भारतीय दंड संहिता और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था. रिकॉर्ड पर सबूतों का विश्लेषण करने के बाद, ट्रायल कोर्ट ने पाया कि बिस्वास आईएसआईएस खातों से निकलने वाली खबरें प्रसारित करता था और इस्लामिक स्टेट के समर्थन में लेख भी पोस्ट करता था.

इसमें आगे कहा गया है कि आरोपी के 18,000 फॉलोअर्स थे और उसका ट्विटर (अब एक्स) अकाउंट उसके फॉलोअर्स के लिए मीटिंग प्लेस था. अदालत ने टिप्पणी की, "आरोपी ने आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से आतंकवादी संगठनों इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और जभात अल-नुसरा से संबंधित ट्वीट पोस्ट करने के लिए अपने ट्विटर अकाउंट का इस्तेमाल किया."

कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि बिस्वास की गिरफ्तारी के समय आईएसआईएस एक आतंकवादी संगठन नहीं था या उसने यूएपीए के तहत किसी भी प्रतिबंधित संगठन का समर्थन नहीं किया था. इसमें कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को ध्यान में रखा गया, जिसमें कहा गया था कि संयुक्त राष्ट्र ने 2007 में ही आईएसआईएस पर प्रतिबंध लगा दिया था और इसे एक आतंकवादी संगठन घोषित किया था.

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