अयोध्या देशी और विदेशी पर्यटकों-श्रद्धालुओं की पसंदीदा जगह के रूप में उभर रही है. अयोध्या को आस्था, आध्यात्मिकता, पर्यटन के साथ-साथ व्यापार और रोजगार का केंद्र के अलावा इको फ्रेंडली भी बनाने की योजना है. आने वाले वर्षों में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण और श्रीराम की दुनिया में सबसे ऊंची मूर्ति बनने के बाद अयोध्या का आकर्षण और बढ़ेगा. पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, अगले 10 वर्षों (2030 तक) अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या में तीन गुना (2.2 करोड़ से 6.8 करोड़ ) तक वृद्धि हो जाएगी. उस समय तक वैश्विक पर्यटन के मंच पर अयोध्या और मजबूती से अपनी मौजूदगी दर्ज कराएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उसी के अनुसार अयोध्या का कायाकल्प कर उसे विश्वस्तरीय सुविधाओं वाला शहर बनाना चाहते हैं. ऐसा शहर जहां आने वाले पर्यटकों- श्रद्धालुओं के दिलो-दिमाग पर अयोध्या की अमिट छाप चस्पा हो जाए. घर वापस जाकर वह औरों से इसकी चर्चा करें ताकि अधिक से अधिक लोग अयोध्या आने को प्रेरित हों. इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री अयोध्या का भव्यतम और दिव्यतम बनाने के साथ उसे इकोफ्रेंडली भी बनाना चाहते हैं. अयोध्या को इकोफ्रेंडली बनाने के लिए जिन मुख्य मार्गों से शहर में एंट्री होगी वहां जरूरत के अनुसार पार्किंग या मल्टीलेवल पाकिर्ंग बनेंगे. इन जगहों से शहर में प्रवेश के लिए इलेक्ट्रिक वाहन चलाने का प्रस्ताव है.
यह भी पढ़े: राम मंदिर का भूमि पूजन हो गया, फिर भी उत्तर प्रदेश में जंगल राज है: शिवसेना.
स्थानीय स्तर पर एंट्री प्वाइंट वाली (entry point) प्रमुख जगहों से रामलला के दर्शन के लिए रोप-वे बनाने की भी योजना पर मंथन जारी है. इससे मुख्य शहर में वाहनों के न आने से वहां आने वाले पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को तो सहूलियत होगी ही, वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी घटेगा. सरयू की अविरलता और पवित्रता के लिए इसमें गिरने वाले सभी नालों की टैपिंग कर इसे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (Sewage treatment plant) (एसटीेपी) (STP) से जोड़ा जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्देश है कि तकनीकी तौर पर एसटीपी (STP) का जो भी सबसे बेहतरीन मॉडल हो उसे अयोध्या में लगाएं.
चूंकि अयोध्या इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रही है. ऐसे में अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में भी विकसित करने का भी प्रस्ताव है. नगर विकास विभाग नेडा के साथ मिलकर इस बारे में कार्ययोजना तैयार करेगा। पिछले महीने फैजाबाद (Faizabad) मंडल की समीक्षा बैठक में भी मुख्यमंत्री अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का निर्देश दे चुके हैं. भव्य,दिव्य और इकोफ्रेंडली (ecofriendly) बनाने के साथ योगी सरकार वैदिक और स्मार्ट सिटी के समन्वित मॉडल के रूप में माझा बरहटा, माझा शहनवाजपुर (Shahanvazpur), माझा तिहुरा की जमीन पर करीब 749 एकड़ भूमि पर नव्य अयोध्या का निर्माण भी कराने जा रही है. यह जमीन लखनऊ-गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर है.
लखनऊ से गोरखपुर जाते समय दाहिने ओर सरयू के किनारे निर्मित बांधों के बीचोबीच और प्रस्तावित श्रीराम की प्रतिमा के लिए अधिसूचित भूमि से लगी हुई है. यहां पर कोरिया समेत पांच देशों और 25 राज्यों के लिए अतिथि गृह, अलग-अलग धर्मों, संप्रदायों और आश्रमों के लिए, मठों और स्वयंसेवी संगठनों के लिए भी करीब 100 भूखंड आरक्षित किए जाएंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या मंडल की समीक्षा में विकास कार्यों की प्रगति रिपोर्ट लेने के साथ ही निर्देश दिए कि अयोध्या में पर्यटन की बुनियादी सुविधाएं विकसित करें. अयोध्या मंडल में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं हैं। मंदिर के निर्माण के साथ पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि होगी.
इसे ध्यान में रखते हुए बुनियादी पर्यटन सुविधाओं का विकास किया जाए। मालूम हो कि राम मंदिर आंदोलन से गोरक्षपीठ की तीन पीढ़ियों (ब्रहमलीन महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवैद्यनाथ और पीठ के मौजूदा पीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ) का नाता रहा है. इसीलिए अयोध्या से योगी को खास लगाव है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी का अयोध्या पर खास फोकस है. अपनी नियमित यात्राओं के दौरान वह अयोध्या को कोई न कोई सौगात देते रहे. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले से रामलला के भव्यतम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होने के बाद अयोध्या के विकास को पंख लग चुके हैं.