अयोध्या विवाद: सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर सुरक्षित रखा फैसला
जस्टिस बोबडे ने कहा कि अगर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू होती है तो इसके घटनाक्रमों पर मीडिया रिपोर्टिंग पूरी तरह से बैन होनी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट में आज राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद (Ayodhya Ram Janmbhumi- Babri Masjid dispute) पर सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. उधर, सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में मध्यस्थता व्यर्थ अभ्यास है. इससे पहले सुनवाई के दौरान जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा कि यह मामला भावनाओं के बारे में है, धर्म के बारे में और विश्वास के बारे में है. हम विवाद की गंभीरता के प्रति सचेत हैं. जस्टिस बोबडे ने कहा कि इसमें केवल एक मेडिएटर की जरूरत नहीं है बल्कि मेडिएटर्स का पूरा पैनल ही जरूरी है. उन्होंने कहा कि जो पहले हुआ उस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं. हमें वर्तमान विवाद के बारे में पता है. हम केवल विवाद को सुलझाने के बारे में चिंतित हैं.
जस्टिस बोबडे ने कहा कि अगर मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू होती है तो इसके घटनाक्रमों पर मीडिया रिपोर्टिंग पूरी तरह से बैन होनी चाहिए. मुस्लिम पक्षकारों के वकील राजीव धवन ने कहा कि मुस्लिम पक्ष मध्यस्थता के लिए सहमत है और किसी भी तरह का सुलह या समझौता पार्टियों को बांध देगा. यह भी पढ़ें- पुलवामा आतंकी हमला सुरक्षा में चूक नहीं, बल्कि एक बड़ा हादसा: केशव प्रसाद मौर्य
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा साल 2010 में सुनाए गए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 14 याचिकाएं दायर की गई हैं. दरअसल, हाई कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि को तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, राम लला और निर्मोही अखाड़े के बीच बांटने का आदेश दिया था, लेकिन अभी तक इस मामले का निपटारा नहीं हो पाया है.