अयोध्या केस: राजीव धवन के खिलाफ बार काउंसिल पहुंची हिंदू महासभा, नक्शा फाड़ने पर दर्ज कराई शिकायत
अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में बुधवार मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन (Rajeev Dhavan) ने हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) द्वारा पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया था. जिसके बाद यह मामला अब तूल पकड़ने लगा था. दरअसल अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह द्वारा अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान राम के जन्म स्थल को दर्शाने वाले नक्शे का हवाला दिये जाने पर राजीव धवन ने आपत्ति की थी. इस पर धवन ने पीठ से पूछा कि उन्हें इसका क्या करना चाहिए, पीठ ने कहा कि वह इसके टुकड़े कर सकते हैं.
अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में बुधवार मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन (Rajeev Dhavan) ने हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) द्वारा पेश किए गए नक्शे को फाड़ दिया था. जिसके बाद यह मामला अब तूल पकड़ने लगा था. दरअसल अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह द्वारा अयोध्या में विवादित स्थल पर भगवान राम के जन्म स्थल को दर्शाने वाले नक्शे का हवाला दिये जाने पर राजीव धवन ने आपत्ति की थी. इस पर धवन ने पीठ से पूछा कि उन्हें इसका क्या करना चाहिए, पीठ ने कहा कि वह इसके टुकड़े कर सकते हैं. इस पर राजीव धवन ने कोर्ट कक्ष में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अधिवक्ता द्वारा उपलब्ध कराया गया सचित्र नक्शा फाड़ दिया. जिसके बाद अब अखिल भारत हिंदू महासभा ने वकील के खिलाफ बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) से शिकायत की है. इसके साथ उनकी आलोचना भी कि है.
बता दें कि चालीस दिन की सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को राजनीतिक रूप से अति-महत्वपूर्ण 70 वर्ष पुराने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने 6 अगस्त से मामले में रोजाना सुनवाई शुरू की थी. इससे पहले अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल मामले को सुलझाने में विफल रही थी. पैनल की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश कर रहे थे. चीफ जस्टिस ने सुनवाई को समाप्त कर दिया और घोषणा करते हुए कहा कि अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
यूपी में अफसरों के अवकाश 30 नवम्बर तक रद्द!
वहीं अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले पर आने वाले फैसले के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने फील्ड में तैनात प्रशासन और पुलिस के अफसरों के सभी अवकाश 30 नवंबर तक के लिए रद्द कर दिए हैं. हालांकि शासन का कहना है कि यह कदम आगामी त्योहारों के मद्देजनर उठाया गया है. अपर मुख्य सचिव मुकुल सिंघल की ओर से जारी पत्र में कहा गया है, आगामी त्योहार आदि को देखते हुए फील्ड में तैनात अफसरों को अति विशेष परिस्थिति को छोड़कर किसी भी प्रकार का अवकाश नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही सभी अधिकारियों को अपने-अपने मुख्यालय में उपस्थित रहने के निर्देश भी दिये गए हैं.
सूत्रों के अनुसार, चूंकि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद पर बुधवार सुनवाई का अंतिम दिन है, और यह बहुप्रतीक्षित और संवेदनशील फैसला अगले महीने 17 नवंबर से पहले आने की संभावना है. ऐसे में सरकार प्रदेश में खासकर अयोध्या में सुरक्षा-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखना चाहती है. शासन ने प्रकरण की संवेदनशीलता को देखते हुए तैयारियां शुरू भी कर दी हैं.