Animal Film Criticism: Kabir Singh, Pushpa और 'Animal' जैसी फिल्में हिंसा को जस्टिफाई करती हैं- रंजीत रंजन

राज्यसभा में गुरूवार को 'कबीर सिंह', 'पुष्पा' और हाल ही में रिलीज हुई 'एनिमल' जैसी फिल्मों का जिक्र हुआ. कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा इन फिल्मों में महिलाओं के प्रति हिंसा को जस्टिफाई किया जा रहा है.

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नई दिल्ली, 7 दिसंबर : राज्यसभा में गुरूवार को 'कबीर सिंह', 'पुष्पा' और हाल ही में रिलीज हुई 'एनिमल' जैसी फिल्मों का जिक्र हुआ. कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा इन फिल्मों में महिलाओं के प्रति हिंसा को जस्टिफाई किया जा रहा है. फिल्मों के हीरो हिंसा को प्रमोट करते हैं. नेगेटिव भूमिका वाले व्यक्तियों को हीरो की तौर पर दर्शाया जा रहा है, जिससे युवाओं पर गलत प्रभाव पड़ता है. उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड इस प्रकार की पिक्चरों को कैसे मान्यता दे रहा है. कैसे इन पिक्चरों को स्वीकृति प्रदान की जा रही है, जो हमारे समाज के लिए बीमारी हैं. ऐसी पिक्चरों का कोई भी स्थान हमारे समाज में नहीं होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि सिनेमा समाज का आईना होता है. सिनेमा समाज को खासतौर पर युवाओं को काफी प्रभावित करता है. आजकल कुछ इस तरह की फिल्में आ रही है. उन्होंने कबीर सिंह, पुष्पा और हाल में रिलीज हुई फिल्म एनिमल का जिक्र किया. उन्होंने इन फिल्मों में हिंसा लेकर चिंता जताई और कहा कि इन फिल्मों में महिलाओं के साथ हिंसा को जस्टिफाई किया गया है. राज्यसभा सांसद ने कहा कि मुझे लगता है कबीर सिंह फिल्म में जिस तरह हीरो अपनी वाइफ को ट्रीट करता है और इस मूवी (एनिमल) में अपनी वाइफ को ट्रीट करता है. फिल्म और समाज इसको जस्टिफाई करता नजर आ रहा है, यह बहुत ही चिंता की बात है. यह भी पढ़ें : PM Modi Wishes New Telangana CM: तेलंगाना के नए सीएम बने रेवंत रेड्डी, पीएम मोदी ने दी बधाई

उन्होंने कहा कि निगेटिव रोल को हीरो की तरह पेश करने पर युवाओं में खास तौर पर 11वीं 12वीं कक्षा के छात्रों पर इसका बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे इन निगेटिव किरदारों को अपना रोल मॉडल मानने लगे हैं. समाज में कई ऐसी हिंसा और वारदात देखने को मिल रही है, जो आज के युवा हिंसा प्रधान फिल्मों से प्रेरित होकर कर रहे हैं.

कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि पंजाब का बहुत ही उच्च कोटि का इतिहास है. लेकिन, फिल्मों और गानों में पंजाब के इतिहास का दुरुपयोग हो रहा है. दो परिवारों की नफरत की लड़ाइयों, गैंगवार की लड़ाई को ऐतिहासिक तथ्यों के साथ गलत तरीके से दिखाया जा रहा है. रंजीत रंजन ने पंजाब की कुछ फिल्मों और गानों का जिक्र करते हुए कहा कि हॉस्टल्स में, बिल्डिंग में, कॉलेज में बड़े-बड़े हथियार लेकर मारता है, गोलियां चलाता है. बावजूद इसके उसको कोई कानून, कोई लॉ एंड ऑर्डर सजा नहीं देता है.

उन्होंने कहा यह भी फिल्म में जस्टिफाई किया जा रहा है. उन्होंने सिख फौजी के कमांडर इन चीफ हरि सिंह नलवा का जिक्र किया. बताया गया कि हरि सिंह नलवा ने मुगलों के खिलाफ, अंग्रेजों की बढ़ती हुई सत्ता को रोकने के लिए लड़ाई लड़ी थी, उनके बेटे अर्जन सिंह नलवा थे. उच्च कोटि के इतिहास को एक गैंगवार में एक गाने के बैकग्राउंड में दिखाकर हमारे धार्मिक आस्था को भी चोट पहुंचाते हैं.

उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड इस प्रकार की पिक्चरों को कैसे मान्यता दे रहा है. कैसे इन पिक्चरों को स्वीकृति प्रदान की जा रही है, जो हमारे समाज के लिए बीमारी है. ऐसी पिक्चरों का कोई भी स्थान हमारे समाज में नहीं होना चाहिए.

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