प्राचीन मंदिर सीमेंट से नहीं, बल्कि चट्टानों से बने थे... सुप्रीम कोर्ट ने यमुना किनारे डीडीए द्वारा शिव मंदिर गिराए जाने पर रोक लगाने से किया इनकार
Supreme Court | PTI

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज, 14 जून को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा प्राचीन शिव मंदिर को गिराए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. शिव मंदिर शहर की गीता कॉलोनी और यमुना बाढ़ के मैदानों के पास स्थित है. जस्टिस संजय कुमार और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की अवकाश पीठ ने शिव मंदिर को गिराए जाने के खिलाफ अंतरिम राहत याचिका को खारिज कर दिया. गौरतलब है कि 29 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने प्राचीन शिव मंदिर अवाम अखाड़ा समिति द्वारा DDA की तोड़फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था. देखते ही गोली मार दी जाएगी.... जैसी चेतावनी सैन्य स्टेशनों के बाहर ठीक नहीं; इलाहाबाद हाई कोर्ट की टिप्पणी.

कार्यवाही के दौरान, कोर्ट ने पूछा, "प्राचीन मंदिर का सबूत कहां है?" शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि प्राचीन मंदिरों का निर्माण सीमेंट से नहीं बल्कि चट्टान से किया गया था, जिसके बाद याचिकाकर्ता से मंदिर की प्राचीन स्थिति का समर्थन करने वाले दस्तावेज दिखाने को कहा गया.

कोर्ट ने यह भी कहा, "यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि भगवान शिव को हमारी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है; बल्कि, हम, लोग, उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद चाहते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं हो सकता है कि अगर यमुना नदी के तल और बाढ़ के मैदानी इलाकों को सभी अतिक्रमणों और अनधिकृत निर्माण से मुक्त कर दिया जाए तो भगवान शिव अधिक खुश होंगे."

याचिका में प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि मंदिर चालू रहे तथा श्रद्धालुओं के लिए खुला रहे.

हालांकि, न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया और कहा कि विवादित संरचना यमुना बाढ़ के मैदानों पर स्थित थी जिसे डीडीए ने एनजीटी के निर्देशों के अनुसार विकसित किया है. इसके अलावा, कोर्ट ने याचिकाकर्ता सोसायटी को मंदिर में मूर्तियों और अन्य धार्मिक वस्तुओं को हटाने और उन्हें किसी अन्य मंदिर में रखने के लिए 15 दिन का समय दिया. इसने डीडीए को अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने की भी स्वतंत्रता दी.