PM मोदी को जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने लिखा पत्र, परिवार-जाति के आधार पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में बनाए जा रहे है जज
सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: PTI)

लखनऊ: देश की न्याय व्यवस्था पर एक बार फिर से सवाल खड़ा हुआ है. यह सवाल उठाने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद एक हाईकोर्ट (High Court) के जज है. इलाहाबाद (Allahabad) उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंगनाथ पांडेय (Rang Nath Pandey) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) को एक पत्र लिखकर  है, जिसमें उन्होंने उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में "भाई-भतीजावाद और जातिवाद" का आरोप लगाया गया है.

न्यायाधीश जस्टिस रंगनाथ पांडेय ने पीएम मोदी को लिखे पत्र कहा है कि उच्च न्यायालय (हाई कोर्ट) और सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) दुर्भाग्यवश वंशवाद और जातिवाद से बुरी तरह ग्रस्त है. यहां न्यायाधीशों के परिवार का सदस्य होना ही अगला जज होना सुनिश्तित करता है. उच्च न्यायालय के जज ने कहा कि उन्होंने यह पत्र खुद के 34 वर्षों के निजी अनुभव और उच्च न्यायालय के वर्तमान जज होने के नाते प्रधानमंत्री का ध्यान खींचने के लिए लिखा है.

उन्होंने आगे कहा कि अधीनस्थ न्यायालयों में प्रतियोगी परीक्षा के जरिए योग्यता सिद्ध होने के बाद जज चुने जाते है. लेकिन उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में जजों की नियुक्ति का हमारे पास कोई निश्चित मापदंड नहीं है. सिर्फ प्रचलित कसौटी है तो केवल परिवारवाद और जातिवाद.

देश के उच्चतर न्यायपालिका में न्यायाधीशों के चयन में भाई-भतीजावाद के कई आरोप लग चुके है. यहां न्यायाधीशों के रिक्त पदों पर चयन को लेकर बार-बार सवाल उठाये जा रहे. अभी भी उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों का भारी कमी है. जिसके कारण कई मामलें दशकों से लंबित पड़े हुए है. 25 साल में पहली बार उच्च न्यायालयों के लिये साल 2016 में सर्वाधिक 126 न्यायाधीशों की नियुक्ति की गई थी. जो एक रिकार्ड है. देश के 24 उच्च न्यायालयों के लिये न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की संख्या 1079 है.