कोरोना संकट के बीच देश में क्यों किया जा रहा है सेरोलॉजिकल सर्वे, जानें COVID-19 से जंग में इससे कैसे मिल रहा है लाभ
सेरोलॉजिकल सर्वे के तहत आईजीजी जांच की जाती है. इस सर्वे में मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी चेक किए जाते हैं. आईजीजी टेस्ट एक तरह से प्रतिरोधक क्षमता के बारे में बताता है. हेल्थकेयर वर्कर या सामान्य लोगों में सेरोलॉजिकल सर्वे के दौरान आईजीजी जांच होती है.
देश के कई हिस्सों में इन दिनों सेरोलॉजिकल सर्वे (Serological Survey) कराया जा रहा है, खास कर उन राज्यों और शहरों में जहां संक्रमण बहुत ज्यादा है. सेरोलॉजिकल सर्वे के तहत आईजीजी जांच की जाती है. इस सर्वे में मरीजों के शरीर में एंटीबॉडी चेक किए जाते हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. बलविंदर सिंह की मानें तो इसे चेक करके ये पता चलता है कि अगर कोई संक्रमित है या पहले हुआ था तो उनके अंदर कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी बने हैं या नहीं. एक तरह से पता चलता है कि संक्रमितों का स्वास्थ कैसा है. वो ठीक हैं या नहीं.
इस बारे में विस्तार से बताते हुए सफदरजंग हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. बलविंदर सिंह ने कहा, "हमारी टेस्टिंग करने की क्षमता काफी बढ़ गई है. इसी बीच हम सेरोलॉजिकल सर्वे कर रहे हैं. इससे पता चल रहा है कि कितने प्रतिशत लोग सुरक्षित हो चुके हैं. यह भी पढ़ें: कोरोना संकट के बीच जल संरक्षण पर और बल देने की जरुरत, मानसून है सही मौका.
इसके साथ ही इस सर्वे से यह भी पता चलता है कि वो कभी न कभी कोरोना से संक्रमित हुए थे. क्योंकि कई बार लोग संक्रमित होते हैं, लेकिन लक्षण सामने नहीं आने से या एहतियात बरतने से वो वायरस के संक्रमण के बाद भी सामन्य रहते हैं और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता से बने एंटीबॉडी उन्हें बचा रहे हैं. इससे लोगों में वायरस को लेकर जो भय है वो कम भी होगा. क्योंकि सामान्य जीवन जीते हुए भी वो वायरस को हरा सकते हैं."
प्रसार भारती से बातचीत में डॉ. बलविंदर सिंह ने बताया कि आईजीजी टेस्ट एक तरह से प्रतिरोधक क्षमता के बारे में बताता है. हेल्थकेयर वर्कर या सामान्य लोगों में सेरोलॉजिकल सर्वे के दौरान आईजीजी जांच होती है. कोई भी व्यक्ति जितना ज्यादा आईजीजी पॉजिटिव होगा, तो इसका मतलब वह उतना ही सुरक्षित है.
दूसरे स्टेज में वैक्सीन का ट्रायल
उन्होंने कोरोना की वैक्सीन पर कहा कि वैक्सीन का मानव पर तीन स्टेज के ट्रायल होते हैं. कोलकाता में कुछ कंपनियां हैं जो इंग्लैंड और अमेरिका की कंपनियों के साथ मिलकर ट्रायल कर रही हैं. वैक्सीन के ट्रायल दूसरे स्टेज में आ चुके हैं. अक्टूबर-नवंबर में ट्रायल पूरे हो जाएंगे और दिसम्बर तक वैक्सीन आने की उम्मीद है.
वहीं बढ़ते केस की संख्या पर उन्होंने बताया कि देश में कम लक्षण वाले मरीजों के सबसे ज्यादा संख्या है. एक तरह से 100 में 97 लोग कम लक्षण वाले हैं और 3 लोग ही गंभीर रूप से संक्रमित हैं. वो भी जिन्हें पहले से बीमारी है या जो बुजुर्ग हैं. अस्पताल में उनका काफी ध्यान रखा जाता है, इस वजह से वो भी रिकवर कर जाते हैं. लेकिन खुद के बचाव के लिए मास्क लगाना बहुत जरूरी है.
एन95 मास्क केवल 2-4 दिन दोबारा प्रयोग करें
मास्क को दोबारा प्रयोग करने और धुलने को लेकर भी उन्होंने लोगों को कुछ विशेष सलाह देते हुए कहा कि WHO के निर्देशानुसार एन95 मास्क को साफ करके दोबारा प्रयोग कर सकते हैं. यानी एन95 को 2-4 दिन तक प्रयोग कर सकते हैं, जैसे ही उसके अंदर की पतली परत खराब हो उसे बदल दें. लेकिन सर्जीकल मास्क को कभी सेनिटाइज करके दोबारा प्रयोग नहीं करना चाहिए. हर दिन नए मास्क का प्रयोग करना चाहिए.