Nagpur Dhammachakra Pravartan: आज से 68 साल पहले 14 अक्टूबर के दिन ही बाबासाहेब आंबेडकर ने अपनाया था बौद्ध धम्म, 5 लाख लोग दीक्षाभूमि में थे मौजूद

नागपुर के दीक्षाभूमि में आज से 68 साल पहले आज के दिन डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदू धर्म को त्यागकर अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी.

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Nagpur Dhammachakra Pravartan: नागपुर के दीक्षाभूमि में आज से 68 साल पहले आज ही  के दिन डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदू धर्म को त्यागकर अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी. 14 अक्टूबर साल 1956 को ये बौद्ध दीक्षा समारोह का आयोजन दीक्षाभूमि में किया गया था.उस दिन के बाद से नागपुर की दीक्षाभूमि में अशोक विजयादशमी के अवसर पर और 14 अक्टूबर को लाखों की संख्या में पुरे देश से और विदेश से लोग बाबासाहेब के दर्शन करने के लिए नागपुर पहुंचते है.

आज दीक्षाभूमि में हजारों की तादाद में सुबह से बौद्ध अनुयायियों की भीड़ देखी जा रही है. धम्मचक्र    प्रवर्तन दिवस भारतीय बौद्धों का एक प्रमुख उत्सव है. दुनिया भर से लाखों बौद्ध अनुयाई एकट्ठा होकर हर साल अशोक विजयादशमी और 14 अक्टूबर के दिन इसे मुख्य रुप से दीक्षाभूमि, महाराष्ट्र के साथ साथ अब सारे भारत में मनाते हैं. इस उत्सव को स्थानीय स्तर पर भी मनाया जाता है. ये भी पढ़े:Dhammachakra Pravartan Din 2024 Wishes: धम्मचक्र प्रवर्तन दिन की इन WhatsApp Stickers, GIF Greetings, HD Images, Wallpapers के जरिए दें शुभकामनाएं

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने ली थी बौद्ध धम्म की दीक्षा

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अशोक विजयादशमी के दिन 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने 5 लाख से ज्यादा अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था. डॉ. आंबेडकर ने जहां बौद्ध धम्म की दीक्षा ली वह भूमि आज दीक्षाभूमि के नाम से जानी जाती है. नागपुर ही नहीं देशभर के बौद्ध और बाबासाहेब को माननेवाले लोगों के लिए दीक्षाभूमि एक पवित्र स्थल है. हर साल दीक्षाभूमि में लाखों लोग बौद्ध धम्म अपनाते है.

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने यह दिन बौद्ध धम्म दीक्षा के लिए चूना क्योंकि इसी दिन ईसा पूर्व तीसरी सदी में सम्राट अशोक ने भी बौद्ध धम्म ग्रहण किया था. तब से यह दिवस बौद्ध इतिहास में अशोक विजयादशमी के रूप में जाना जाता था, डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर ने 68 साल पहले बौद्ध धम्म  अपनाकर भारत से लुप्त हुए धर्म का भारत में पुनरुत्थान किया. बाबासाहेब की इस क्रांति को धम्म क्रांति के रूप में देश में जाना जाता है.

 

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