Who Am I Movie Review: सादगी और सरलता से भरी ये फिल्म हमें सोचने पर करती है मजबूर

फिल्म 'हु एम आई' देखने से पहले इसका ये रिव्यू जरूर पढ़ें...

हु एम आई मूवी रिव्यू (Photo Credits: File Photo)

फिल्म: हु एम आय

कास्ट: ऋषिका चंदानी, चेतन शर्मा, सुरेंद्र राजन, शशि वर्मा

निर्देशक:शिरीष खेमरिया

निर्माता:शिरीष प्रकाश

म्यूजिक: अभिनय सिंह

कहानी: फिल्म 'हु एम आई' कहानी है भवितव्य(चेतन शर्मा) नाम के ऐसे इंसान की जो अपने जीवन के महत्त्व को लेकर कई सवालो में उलझा हुआ है. उसके मन में अक्सर ये बातें आती हैं कि मैं कौन हूं? हम सांस क्यों लेते हैं? और जानना चाहता है कि उसके जीवन का क्या अर्थ है? अपने सवालों में उलझा भवितव्य शहर में आकर फिलोसफी की पढ़ाई शुरू करता है. इस दौरान उसकी मुलाकात अदिति (ऋषिका चंदानी) से होती है. अदिति और भवितव्य दोस्त बन जाते हैं और बाद में उन्हें प्रेम हो जाता है जिसे अदिति महसूस कर पाती हैं. हालांकि भवितव्य अपने सवालों के उलझन में अदिति के प्यार को समझ नहीं पाता है और इस बीच उसे पता चलता है कि उसके अध्यापक की एक दुर्घटना में मौत हो जाती है और उनका निधन हो गया है जिसके चलते वो काफी परेशान रहने लगता है. इस बीच भवितव्य की भेट नर्मदा घाट के पास रहने वाले साधु (सुरेंद्र राजन)से होती है जो भवितव्य को शिवानन्द नाम से बुलाते हैं. अब भवितव्य इस साधू से अपने जीवन की बातों को समझने का प्रयास करने लगता है.

अभिनय: भवितव्य का किरदार निभा रहे चेतन शर्मा एक मंझे हुए कलाकार हैं. इसके पहले भी सांकल, आंखों देखी और सेक्रेड गेम्स 2 जैसे शोज मेंउन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को परिचित कराया. इस फिल्म में भी किरदार के दोहरे परत को वह पर्दे पर बखूबी निभाते हैं. उनके चेरे पर उनके सवालों सुगबुगाहट साफ देखी जा सकती है. अदिति की भूमिका में रिशिका चंदानी अपनी पहली फिल्म में बहुत प्रभावित करती हैं. भवितव्य के किरदार से विपरीत अदिति एक शांत और स्थिर किरदार में दिखी. वीएलएन सर (दर्शन शास्त्र के अध्यापक) की भूमिका में शशि वर्मा बहुत प्रभावशाली लगे हैं तो वहीं सुरेंद्र राजन ने स्वामी जी के किरदार को बहुत शानदार तरीकके से पर्दे पर निभाया हैं.

फाइनल टेक: इस फिल्म के निर्देशक युवा शीरिश खेमरिया हैं जिन्होंने इस प्रकार की सेंसिटिव और कहानी पर एक दिल छू लेने वाली फिल्म तैयार की है. यह यकीन कर पाना मुश्किल होता है कि दर्शन शास्त्र जैसे विषय पर ऐसा सिनेमा बनाना जिसमें दर्शक की रुचि भी हो और मनोरंजन भी हो काफी चैलेंजिंग है. फिल्म के कई दृश्य इतनी खूबसूरती से फिल्माए गए हैं जैसे मानों कोई पेंटिंग. फिल्म का पहला भाग जहां कई सारे सवाल खड़ा करता है वहीं दूसरा भाग में उन सवालों के जवाब देता है. इस फिल्म के गाने फिल्म बैकग्राउंड में चलते रहते है जो इसे और भी खूबसूरत बनाते हैं. कुलमिलाकर अगर आप  सादगी से भरी और साहित्य पर आधारित सिनेमा पसंद करते हैं तो ये फिल्म आपके लिए है.

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