Adipurush Review: Prabhas और Kriti Sanon की एक्टिंग करती है प्रभावित, बचकाने डायलॉग और बेजान वीएफएक्स बनाता है फिल्म को बोझिल
तानाजी के बाद ओम राउत आदिपुरुष लेकर आ गए हैं. तानाजी को दर्शकों का ढेर सारा प्यार और बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी सफलता हासिल हुई थी. आदिपुरुष से भी दर्शकों को उसी तरह की उम्मीदें थीं, आज फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है.
Adipurush Review: तानाजी के बाद ओम राउत आदिपुरुष लेकर आ गए हैं. तानाजी को दर्शकों का ढेर सारा प्यार और बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी सफलता हासिल हुई थी. आदिपुरुष से भी दर्शकों को उसी तरह की उम्मीदें थीं, आज फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. कहने के लिए तो यह फिल्म रामायण पर आधारित है, पर कहानी में कई बदलाव देखने को मिलते हैं, जिसे हजम करना मुश्किल लगता है. इस फिल्म में प्रभास, कृति सेनन, सैफ अली खान, सनी सिंह और देवदत्त नागे प्रमुख भूमिका में हैं. Mithun Chakraborty Turns 73: मिथुन चक्रवर्ती की 5 ऐसी बेहतरीन फिल्में जो आपको जरूर देखनी चाहिए, 'डिस्को डांसर' से लेकर 'अग्नीपथ' जैसी फिल्मों में 'मिथुन दा' ने मचाया था धमाल
आदिपुरुष की कहानी शुरु होती है रावण (सैफ अली खान) की बहन सूर्णपखा से जो राघव (प्रभास) से मोहित हो जाती है और उनसे विवाह करना चाहती है. पर राघव यह बोलकर क्षमा मांगते हैं कि वे विवाहित हैं. पर वह जानकी (कृति सेनन) को मारने की चेष्टा करती है और शेष (सनी सिंह) अपने बांण से उसकी नाक काट देते हैं. इसके बाद अपमानित सूर्णपखा अपने भाई के पास पहुंचती है और जानकी को हरण करने की सीख देती है. रावण छल के साथ जानकी का हरण कर लेता है. इसके बाद राघव अपनी पत्नी को दोबारा पाने और असत्य का दमन करने के लिए आगे बढ़ते हैं.
फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी दमदार है, पर कमजोर वीएफएक्स परेशान करता है. फिल्म के डायलॉग्स भी कई जगह पर फनी और बचकाने लगते हैं. जैसे - कपड़ा तेरे बाप का, तेल तेरे बाप का और जलेगी तेरे बाप की. कहानी में बदलाव भी सहन नहीं होते. महत्वपूर्ण घटनाओं को उनकी आत्मीयता के साथ दिखाना आवश्यक था. शबरी की कहानी एक दम अलग हो जाती है, हनुमान एक झटके में जानकी के पास पहुंच जाते है, वहां रावण के द्वारा हेलमेट पहनकर लोहे को पीटना फनी लगता है. इसके अलावा भी मेघनाद की कहानी अलग ही तरीके से पेश की गई. अंगद काफी महत्पूर्ण किरदार हैं उन्हें नजर अंदाज कर दिया गया. निश्चित ही एक फिल्म के जरिए पूरी रामायण की काहनी को बड़े पर्दे पर दिखा पाना संभव नहीं है, पर महत्वपूर्ण हिस्सों को गंभीरता के साथ उसकी आत्मीयता के साथ और भावों के साथ दिखाना जिम्मेदारी समझा जाना चाहिए था.
अगर आप इस फिल्म को रामायण पर आधारित न समझकर देखने जाएंगे तो हो सकता है कि आपको ज्यादा निराशा हाथ न लगे. कुछ हद तक बच्चे भी इस फिल्म को एंजॉय कर सकते हैं. तो अगर इस वीकेंड आपके पास और कोई प्लान नहीं है, तो बच्चों को लेकर आप यह फिल्म देख सकते हैं.