देश की खबरें | डीआरएम के पदस्थापन में ‘देरी’ के चलते कार्य कुशलता हो रही प्रभावित : रेलवे के अधिकारियों ने कहा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. विभिन्न रेल मंडलों के कई प्रमुखों का पदस्थापन एवं स्थानांतरण दो महीनों से अधिक समय से लंबित रहने के बीच अधिकारियों के एक वर्ग ने समय पर यह कवायद किये जाने पर जोर दिया है क्योंकि इस तरह की अनिश्चितता नयी पहल करने सहित कार्य कुशलता को प्रभावित करती है।

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर विभिन्न रेल मंडलों के कई प्रमुखों का पदस्थापन एवं स्थानांतरण दो महीनों से अधिक समय से लंबित रहने के बीच अधिकारियों के एक वर्ग ने समय पर यह कवायद किये जाने पर जोर दिया है क्योंकि इस तरह की अनिश्चितता नयी पहल करने सहित कार्य कुशलता को प्रभावित करती है।

किसी रेल मंडल का कामकाज देखने के लिए नियुक्त किये जाने वाले मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) का कार्यकाल दो साल का होता है जिसके बाद उस अधिकारी का तबादला समान पद पर किया जाता है या पदोन्नति कर जोनल मुख्यालय में भेजा जाता है।

रिक्त पदों को नये अधिकारियों द्वारा भरा जाता है जो निर्धारित दिशार्निशों के आधार पर चयनित किये जाते हैं।

रेलवे बोर्ड ने कहा है कि डीआरएम के पदस्थापन और स्थानांतरण की कवायद प्रक्रिया में है और इस बात को खारिज कर दिया कि ‘‘विलंब’’ का इनकी कार्य कुशलता से कोई लेनादेना है।

रेलवे बोर्ड के कार्यकारी निदेशक (सूचना एवं प्रचार) दिलीप कुमार ने कहा, ‘‘यह सही है कि हम दो साल की सेवा के बाद डीआरएम का तबादला कर देते हैं और उनकी जगह नया पदस्थापन करते हैं। हालांकि, पूरी तरह से इस प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता।’’

कुमार ने कहा, ‘‘कभी-कभी, इसमें देर हो जाती है, जो विभिन्न कारणों से होती है। मेरा मानना है कि इस तरह की चीजों का संजीदा अधिकारी पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। वह पहले की तरह ही पेशेवर तरीके से काम करना जारी रखते हैं।’’

हालांकि, सूत्रों ने दावा किया कि ‘‘विलंब’’ नये दिशानिर्देशों के कारण हो रहा है जिसे सितंबर में बोर्ड ने जारी किया था और इसे कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की मंजूरी का इंतजार है।

डीआरएम के एक वर्ग के साथ-साथ सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि दो साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद अधिकारी नयी पहल करने में हिचकिचाते हैं और ‘‘अनिश्चितता की भावना’’ के कारण जिम्मेदारियों के निवर्हन में शिथिल पड़ जाते हैं।

एक डीआरएम ने कहा, ‘‘यह स्वाभाविक और सामान्य बात है कि अधिकारी अपने दो साल का कार्यकाल पूरा होने के नजदीक पहुंचने पर काम की गति धीमी कर देते हैं या कोई नयी पहल करने से बचते हैं क्योंकि वे अपने नये पदस्थापन का इंतजार करने लगते हैं। पदस्थापन के स्पष्ट आदेश के अभाव में उनके मन में अनिश्चितता की भावना घर कर लेती है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे माल ढुलाई परिचालन पर असर पड़ता है, जो रेलवे के लिए राजस्व का एक बड़ा स्रोत है।’’

डीआरएम ने कहा कि मानसून के बाद, जब मौसम की स्थिति के कारण माल ढुलाई परिचालन कुछ हद तक प्रभावित होता है, राजस्व हानि की भरपाई करने और कड़ाके की ठंड शुरू होने एवं कोहरे के कारण रेल परिचालन में खलल पड़ने तक, अच्छे मौसम का अधिकतम लाभ उठाने के लिए तत्पर रहने की आवश्यकता होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस महत्वपूर्ण समय में, दर्जनों अधिकारी अपने तबादले की प्रतीक्षा में हैं, ऐसे में रेलवे को राजस्व का नुकसान होना तय है।’’

एक अन्य डीआरएम ने कहा, ‘‘इतना ही नहीं, यह देरी रेलवे बोर्ड की स्थानांतरण और पदस्थापन के बारे में निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी खराब करती है। यह दर्शाता है कि बोर्ड के अधिकारी दूरदर्शी नहीं हैं और वे सही से योजना नहीं बनाते हैं।’’

एक रेलवे जोन से जुड़े सुरक्षा अधिकारी ने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि स्थानांतरण/पदस्थापन के बारे में घोषणा दो साल का कार्यकाल पूरा होने से एक या दो महीने पहले की जानी चाहिए।’’

रेलवे बोर्ड ने कुछ नयी अर्हता पेश करते हुए डीआरएम के चयन के लिए तीन सितंबर 2024 को नये दिशानिर्देश जारी किये थे।

सूत्रों के अनुसार, नये दिशानिर्देश मंजूरी के लिए डीओपीटी के पास लंबित हैं जिसके चलते नये डीआरएम की सूची को अंतिम रूप देने में देर हो रही है और इस वजह से मौजूदा डीआरएम के स्थानांतरण रूके हुए हैं।

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