Afghanistan: तालिबान का बड़ा बयान, इस्लामिक स्टेट को काबू में करने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम नहीं करेंगे
अमेरिकी अधिकारी शनिवार और रविवार को तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कतर की राजधानी दोहा में बैठक करेंगे। इसका उद्देश्य विदेशी नागरिकों और ऐसे अफगान लोगों की अफगानिस्तान से निकासी को आसान बनाना है, जिन पर खतरा है। इसके अलावा, अफगानिस्तान में उग्रपंथी समूहों को नियंत्रित करने के बारे में भी बात हो सकती है। दोनों पक्षों के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। तालिबान ने संकेत दिए हैं कि लोगों की अफगानिस्तान से निकासी को लेकर वह लचीला रूख अपना सकता है।
अमेरिकी अधिकारी शनिवार और रविवार को तालिबान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कतर की राजधानी दोहा में बैठक करेंगे. इसका उद्देश्य विदेशी नागरिकों और ऐसे अफगान लोगों की अफगानिस्तान से निकासी को आसान बनाना है, जिन पर खतरा है. इसके अलावा, अफगानिस्तान में उग्रपंथी समूहों को नियंत्रित करने के बारे में भी बात हो सकती है. दोनों पक्षों के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. तालिबान ने संकेत दिए हैं कि लोगों की अफगानिस्तान से निकासी को लेकर वह लचीला रूख अपना सकता है.
अगस्त माह में अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की वापसी के बाद यह इस तरह की पहली बैठक है. वार्ता कतर के दोहा में होगी.तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने एसोसिएटेड प्रेस को शनिवार को बताया कि अफगानिस्तान में तेजी से सक्रिय होते जा रहे इस्लामिक स्टेट समूह से जुड़े संगठनों को लेकर उसकी ओर से वाशिंगटन को किसी तरह का सहयोग नहीं दिया जाएगा. शाहीन ने कहा, ‘‘दायेश (इस्लामिक स्टेट) से अपने दम पर निबटने में हम सक्षम हैं. ’’यह भी पढ़े: तालिबान से आरएसएस की तुलना करने पर Javed Akhtar के खिलाफ मुलुंड पुलिस स्टेशन में केस दर्ज
पूर्वी अफगानिस्तान में 2014 से आईएस ने देश के शिया मुस्लिम समुदाय पर निरंतर हमले किए हैं. वह अमेरिका के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है. हाल में मस्जिद पर हुए हमले में भी उससे संबंधित संगठन का ही हाथ था जिसमें अल्पसंख्यक शिया समुदाय के 46 लोग मारे गए थे.अमेरिका के एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि कतर के दोहा में होने वाली वार्ता के केंद्र में अफगानिस्तान के तालिबान नेताओं से यह वादा लेना होगा कि वे अमेरिकी लोगों, विदेशी नागरिकों और अमेरिका सरकार तथा सेना के मददगार रहे अफगान सहयोगियों को अफगानिस्तान से निकलने की इजाजत दें.
अगस्त माह के अंत में अफगानिस्तान से अमेरिका के बचे बलों और राजनयिकों के निकलने के बाद, अमेरिका द्वारा वहां से लोगों की निकासी की धीमी रफ्तार को लेकर बाइडन प्रशासन को सवालों का सामना करना पड़ रहा है. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा था कि तब से अमेरिका ने 105 अमेरिकी नागरिकों और 95 ग्रीन कार्ड धारकों को अफगानिस्तान से निकाला है. इस बात को एक हफ्ता बीत चुका है लेकिन निकाले गए लोगों की संख्या जस की तस बनी हुई है.
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