नयी दिल्ली, 12 अगस्त केंद्र ने अरहर दाल की कीमतों के बढ़ने के साथ शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि स्टॉकिस्ट और व्यापारी अपने पास रखी अरहर दाल की मात्रा के बारे में खुलासा करें।
यह निर्देश इन खबरों के बीच आया है कि कृत्रिम कमी पैदा करने के लिए अरहर दाल की बिक्री को जानबूझकर सीमित किया जा रहा है।
केंद्र दालों की कीमतों पर करीब से नजर रखे हुए है। मौजूदा समय में, केन्द्र के पास बफर स्टॉक में 38 लाख टन दाल हैं और इसे घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए बाजार में जारी किया जा रहा है।
शुक्रवार को, उपभोक्ता मामले विभाग ने ‘‘सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3 (2) (एच) और 3 (2) (आई) के तहत व्यपारियों के लिये तुअर के भंडार के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने की व्यवस्था लागू करने का निर्देश जारी किया।’’
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को भी स्टॉक की निगरानी और सत्यापन करने के लिए कहा गया है। एक सरकारी बयान के अनुसार, इसके अलावा, उन्हें भंडार रखने वाले संस्थाओं को विभाग के ऑनलाइन निगरानी पोर्टल पर साप्ताहिक आधार पर अपने स्टॉक का आंकड़ा अपलोड करने के लिए निर्देश जारी करने को कहा गया है।
इसमें कहा गया है, ‘‘ऐसी खबरें हैं कि स्टॉकिस्ट और व्यापारियों के कुछ वर्ग कीमतों को बढ़ाने के लिए कृत्रिम कमी पैदा करने के प्रयास के तहत सीमित मात्रा में बिक्री का सहारा ले रहे हैं।’’
पिछले साल की तुलना में खरीफ की बुवाई में धीमी प्रगति के बाद जुलाई के दूसरे सप्ताह से अरहर दाल की खुदरा कीमतों में तेजी का रुख है।
कर्नाटक, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख तुअर दाल उत्पादक राज्यों के कुछ हिस्सों में अधिक वर्षा और जल भराव की स्थिति के कारण बुवाई प्रभावित हुई है।
बयान में कहा गया है, ‘‘केंद्र घरेलू और विदेशी बाजारों में दालों की समग्र उपलब्धता और कीमतों पर करीब से नजर रख रहा है ताकि आगामी त्योहारों के महीनों की अधिक मांग की स्थिति में अनपेक्षित मूल्य वृद्धि की स्थिति में जरूरी कार्रवाई की जा सके।’’
केंद्र ने कहा कि घरेलू बाजार में दालों की पर्याप्त उपलब्धता है। फिर भी, वह अपने 38 लाख टन के बफर स्टॉक से दालों को बाजार में आपूर्ति बढ़ाने के लिए जारी कर रहा है।
इस खरीफ बुवाई सत्र में 12 अगस्त तक दलहन बुवाई का रकबा घटकर 122.11 लाख हेक्टेयर रह गया, जो एक साल पहले इसी अवधि में 127.22 लाख हेक्टेयर था। अरहर (तुअर) दाल का रकबा 47.55 लाख हेक्टेयर से घटकर 42 लाख हेक्टेयर रह गया है।
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