देखभाल की जा रही हो तो पत्नी आजीवन संपत्ति की पूर्ण रूप से मालकिन नहीं हो सकती: उच्चतम न्यायालय

उच्चतम न्यायलय ने मंगलवार को कहा कि अगर कोई हिंदू पुरुष, जो खुद से अर्जित की गई संपत्ति का मालिक है, यदि वह वसीयत में अपनी पत्नी को सीमित हिस्सेदारी देता है तो इसे संपत्ति पर पूर्ण अधिकार नहीं माना जाएगा, बशर्ते वह अपनी पत्नी की देखभाल और अन्य शर्तें पूरी करता हो.

सुप्रीम कोर्ट (Photo Credits: Wikimedia Commons)

नयी दिल्ली, 2 फरवरी : उच्चतम न्यायलय ने मंगलवार को कहा कि अगर कोई हिंदू पुरुष, जो खुद से अर्जित की गई संपत्ति का मालिक है, यदि वह वसीयत में अपनी पत्नी को सीमित हिस्सेदारी देता है तो इसे संपत्ति पर पूर्ण अधिकार नहीं माना जाएगा, बशर्ते वह अपनी पत्नी की देखभाल और अन्य शर्तें पूरी करता हो.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने 1968 की एक वसीयत के एक मामले में यह आदेश पारित किया. यह भी पढ़ें : Budget 2022:’विकास के नए रास्ते खोलेगा बजट, पूर्वोत्तर के विकास में अहम भूमिका निभाएगा’

पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को दरकिनार करते हुए यह फैसला सुनाया. हरियाणा के एक व्यक्ति तुलसी राम ने 15 अप्रैल 1968 को उक्त वसीयत लिखी थी, जिसका 17 नवंबर 1969 को निधन हो गया था.

Share Now

\