देश की खबरें | वरवरा राव को स्वास्थ्य आधार पर स्थायी जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए: अदालत ने एनआईए से पूछा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. बबंई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जानना चाहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को स्थायी चिकित्सा जमानत क्यों प्रदान नहीं की जानी चाहिए जोकि कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हैं।

मुंबई, आठ मार्च बबंई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जानना चाहा कि एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कवि एवं सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को स्थायी चिकित्सा जमानत क्यों प्रदान नहीं की जानी चाहिए जोकि कई तरह की बीमारियों से ग्रस्त हैं।

वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने राव की चिकित्सा रिपोर्ट के हवाले से उन बीमारियों के बारे में जानकारी दी जिनसे वह जूझ रहे हैं। इस पर न्यायमूर्ति एस बी शुक्रे की अगुवाई वाली पीठ ने एनआईए से यह सवाल पूछा।

पीठ ने राव को तलोजा जेल प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने की अवधि को 21 मार्च तक का विस्तार दिया। राव फिलहाल अस्थायी चिकित्सा जमानत पर हैं।

न्यायमूर्ति शुक्रे ने यह भी कहा कि उच्च न्यायालय की अन्य पीठ ने फरवरी 2021 में पारित अपने पिछले आदेश में राव के स्वास्थ्य हालात को देखते हुए उन्हें छह महीने की अस्थायी चिकित्सा जमानत प्रदान की थी।

न्यायमूर्ति शुक्रे ने कहा कि उस समय पीठ ने पाया था कि तलोजा जेल की स्थितियां राव की सेहत के हालात के हिसाब से उपयुक्त नहीं हैं। राव बतौर विचाराधीन कैदी तलोजा जेल में थे।

हालांकि, एनआईए की ओर से पेश वकील संदेश पाटिल ने राव को ऐसी राहत दिए जाने पर आपत्ति जतायी और दलील दी कि जब 2021 का आदेश पारित किया गया था, उस समय कोविड महामारी चरम पर थी।

पाटिल ने कहा, '' उस समय के निष्कर्ष कोविड के हालात पर आधारित थे। उसी समय ही अदालत ने स्थायी जमानत प्रदान क्यों नहीं की थी? अगर तलोजा जेल उनके अनुकूल नहीं है, तो उन्हें किसी अन्य जेल में भेज दीजिए।''

एनआईए के वकील ने अदालत से यह भी कहा कि 82 वर्षीय राव की उम्र और कोविड के हालात को देखते हुए उस समय एजेंसी ने अस्थायी जमानत प्रदान करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती नहीं दी थी।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने राव की स्थायी जमानत अर्जी पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए एनआईए को दो सप्ताह का समय प्रदान किया।

अदालत अर्जी पर अंतिम जिरह की सुनवाई 21 मार्च को करेगी।

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