देश की खबरें | डीजीसीए के बजाय सीआईडी भाजपा सांसदों के खिलाफ नियमों के उल्लंघन की जांच क्यों कर रही है: न्यायालय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को झारखंड सरकार से सवाल किया कि सीआईडी भारतीय जनता पार्टी के सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ विमानन नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच क्यों कर रही है जबकि आरोपों की जांच की जिम्मेदारी डीजीसीए की थी।
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को झारखंड सरकार से सवाल किया कि सीआईडी भारतीय जनता पार्टी के सांसदों निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी के खिलाफ विमानन नियमों के उल्लंघन के मामले की जांच क्यों कर रही है जबकि आरोपों की जांच की जिम्मेदारी डीजीसीए की थी।
दोनों सांसदों पर देवघर हवाई अड्डे से अपने चार्टर्ड विमान को उड़ान भरने की मंजूरी देने के लिए हवाई यातायात नियंत्रण (एटीसी) पर दबाव डालने का आरोप है।
अदालत ने राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील जयंत मोहन से कहा कि यह मामला वायुयान अधिनियम के तहत विचारणीय है, जिसमें विमानन अपराधों से संबंधित मामलों की जांच के लिये एकमात्र जिम्मेदारी नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को दी गयी है।
अगस्त 2023 में देवघर जिले के कुंडा पुलिस थाने में दोनों सांसदों सहित नौ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
आरोपियों पर कथित तौर पर एटीसी कर्मियों को 31 अगस्त, 2022 को निर्धारित समय से परे देवघर हवाई अड्डे से उड़ान भरने के लिए अपनी चार्टर्ड उड़ान को मंजूरी देने के लिए मजबूर करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति ए.एस. ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने पूछा, ‘‘मामला वायुयान अधिनियम के तहत विचारणीय है तो झारखंड अपराध अन्वेषण विभाग (सीआईडी) कैसे जांच कर सकती है।’’
पीठ ने झारखंड उच्च न्यायालय के 13 मार्च, 2023 के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर भी अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें भाजपा सांसदों और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी रद्द कर दी गई थी।
उच्च न्यायालय ने इस आधार पर प्राथमिकी रद्द कर दी थी कि वायुयान (संशोधन) अधिनियम, 2020 के अनुसार लोकसभा सचिवालय से कोई पूर्व मंजूरी नहीं ली गई थी। कानून के तहत, किसी सांसद के खिलाफ किसी भी प्राथमिकी को सचिवालय द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।
फैसला सुरक्षित रखने से पहले अदालत ने राज्य सरकार की ओर से वकील जयंत मोहन और भाजपा नेताओं की ओर से वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह की दलीलें सुनीं।
न्यायालय ने राज्य से अपने इस तर्क के समर्थन में निर्णय प्रस्तुत करने को कहा कि पूर्व अनुमति के बिना भी जांच जारी रह सकती है।
दुबे के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया कि 31 अगस्त को देवघर से दिल्ली जाने वाली उड़ान में देरी हुई थी। हालांकि, विमानन नियमों के मुताबिक विमान सूर्यास्त के आधे घंटे बाद भी उड़ान भर सकता है।
उन्होंने कहा कि उस दिन सूर्य लगभग 6.03 बजे अस्त हुआ, जबकि विमान ने 6.17 बजे उड़ान भरी - जो उड़ान के स्वीकृत मानदंडों के अनुरूप था। उन्होंने तर्क दिया कि सांसदों को राजनीतिक प्रतिशोध के कारण निशाना बनाया गया तथा दुर्भावनापूर्ण तरीके से झूठे मामले में फंसाया गया।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)