जरुरी जानकारी | अधिक आयात, विदेशों में गिरावट से तेल-तिलहन के थोक दाम टूटे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. जून के महीने में सूरजमुखी तेल का जरूरत से लगभग दोगुना आयात होने तथा विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच घरेलू बाजारों में सोमवार को अधिकांश तेल-तिलहन के थोक दाम टूट गये और सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों ने बताया कि ऊंचे भाव पर कारोबार प्रभावित रहने से मूंगफली तेल-तिलहन और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव अपरिवर्तित बंद हुए।

नयी दिल्ली, 15 जुलाई जून के महीने में सूरजमुखी तेल का जरूरत से लगभग दोगुना आयात होने तथा विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच घरेलू बाजारों में सोमवार को अधिकांश तेल-तिलहन के थोक दाम टूट गये और सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के थोक दाम गिरावट दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों ने बताया कि ऊंचे भाव पर कारोबार प्रभावित रहने से मूंगफली तेल-तिलहन और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव अपरिवर्तित बंद हुए।

मलेशिया और शिकॉगो एक्सचेंज में गिरावट का रुख रहा।

बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के थोक दाम तो पहले से टूट रहे हैं लेकिन खुदरा दाम लगभग पुराने स्तर पर ही टिके हुए हैं। खुदरा दाम तो नीचे आने का नाम ही नहीं ले रहा जो अपने आप में एक विरोधाभास है।

सूत्रों ने कहा कि देशी सोयाबीन तिलहन का दाम पहले से ही न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग 4-5 प्रतिशत कम है। जून के महीने में 2.5 लाख टन की घरेलू आवश्यकता के मुकाबले सूरजमुखी तेल का आयात लगभग पांच लाख टन का हुआ है जिसके कारण कोई तेल-तिलहन इसके सामने टिक नहीं रहा। इस अत्यधिक आयात के कारण सोयाबीन तेल के लिवाल नहीं हैं। आयातित सूरजमुखी तेल सभी तेलों, विशेषकर मूंगफली और बिनौला को, सीधे तौर पर प्रभावित कर रहा है। इसी वजह से सोयाबीन तेल कीमतों में गिरावट है। सूरजमुखी तेल के इस अत्यधिक आयात और डी-आयल्ड केक (डीओसी) की कमजोर मांग के बीच किसान अब और नीचे भाव पर सोयाबीन तिलहन की बिकवाली को राजी नहीं हैं। इस स्थिति के बीच सोयाबीन तिलहन के भाव अपरिवर्तित रहे।

सूत्रों ने कहा कि जिस सूरजमुखी तेल का दाम वर्ष 2022 के मई के महीने में लगभग 200 रुपये लीटर पड़ता था, अब उसका थोक दाम देश के बंदरगाहों पर घटकर 80.50 रुपये लीटर रह गया है। लेकिन उन तेल विशेषज्ञों को अब भी इस घटी हुई कीमतों में खाद्य तेलों की महंगाई दिखाई देती है जो महंगाई के हंगामे की आड़ में कम आयात शुल्क का आनंद उठा रहे हैं और खुदरा में इसी सस्ते खाद्य तेल को महंगे में बेच रहे हैं।

पिछले दो वर्षों से सरकारी खरीद एजेंसियों के पास सरसों का स्टॉक पड़ा हुआ है जिसे अब 19 जुलाई को बेचने के लिए सहकारी संस्था नाफेड ने निविदा मंगाई है। जब सस्ते आयातित तेलों की मौजूदगी के कारण देशी तेल-तिलहन खप नहीं रहे हों और उनका बाजार ही नहीं हो तो ऐसे में तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने से क्या फायदा है?

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन - 5,940-6,000 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली - 6,325-6,600 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल 2,270-2,570 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 11,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 1,890-1,990 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 1,890-2,015 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,250 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,050 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 8,525 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,700 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,725 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 8,800 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना - 4,550-4,570 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,360-4,480 रुपये प्रति क्विंटल।

मक्का खल (सरिस्का)- 4,125 रुपये प्रति क्विंटल।

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