कोरोना महामारी को रोकने के लिए WHO को और अधिकार मिलने चाहिए, समिति का सुझाव
. वहीं, इसके विपरीत कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को ज्यादा ताकत देने के विचार को सदस्य राष्ट्र शायद ही मानेंगे।
कुछ विशेषज्ञों ने कहा है कि डब्ल्यूएचओ को ज्यादा ताकत देने के विचार को सदस्य राष्ट्र शायद ही मानेंगे. समिति ने कहा है कि महामारी के आरंभिक स्थल का पता लगाने के लिए देशों तक पहुंच का अधिकार मिलना चाहिए. समिति ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कोविड-19 से निपटने में ढीले-ढाले रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि कुछ देश बस ये देखते रहे कि संक्रमण का प्रसार किस तरह हो रहा है, इसके कारण खौफनाक नतीजे हुए.
समूह ने वैश्विक नेतृत्व की कमी और स्वास्थ्य संबंधी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधात्मक कानूनों की भी आलोचना की जिसके कारण डब्ल्यूएचओ (WHO) को कदम उठाने में अड़चन आयी।कुछ विशेषज्ञों ने कोविड-19 के दौरान डब्ल्यूएचओ और अन्य को जवाबदेह ठहराने में नाकाम रहने के लिए समिति की आलोचना करते हुए कहा कि यह जिम्मेदारी से भागने जैसा है।जॉर्जटाउन यूनिवसिर्टी की प्रोफेसर लॉरेंस गोस्टिन ने कहा कि समिति ‘‘चीन जैसी बुरी ताकतों का नाम लेने में नाकाम रही.’’
इस समिति में लाइबेरिया की पूर्व राष्ट्रपति एलेन जॉनसन सरलीफ और न्यूजीलैंड की पूर्व प्रधानमंत्री हेलेन क्लार्क थीं. यह भी पढ़े: Corona Vaccine Update: वैक्सीन के बिना कैसे हल होगा वैश्विक कोरोना संकट?
जॉनसन सरलीफ ने कहा, ‘‘आज जो स्थिति पैदा हुई है उसे हम रोक सकते थे, महामारी की जांच के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षमता को बढ़ाने के साथ समिति ने कई सिफारिशें की है। उसने स्वास्थ्य एजेंसी और विश्व व्यापार संगठन को टीकों का निर्माण करने वाले देशों के साथ लाइसेंस और प्रौद्योगिकी स्थानांतरण के लिए बैठक करने को कहा है।इसके साथ ही समिति ने सुझाव दिया है कि डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक का कार्यकाल सात साल का होना चाहिए.
क्लार्क ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की भूमिका मजबूत करने के साथ वैश्विक स्तर पर बीमारी निगरानी तंत्र को दुरूस्त करना चाहिए. क्लार्क ने कहा, ‘‘डब्ल्यूएचओ को महामारी की जांच करने का अधिकार, तेजी से पहुंच की इजाजत और सदस्य राष्ट्र की मंजूरी का इंतजार किए बिना सूचना प्रकाशित करने की अनुमति होनी चाहिए.
’लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर शोफी हरमन ने कहा कि समिति की सिफारिशों का डब्ल्यूएचओ के सदस्य देश शायद ही स्वागत करेंगे और इसे लागू करने की भी इजाजत नहीं देंगे.
उन्होंने सवाल किया, ‘‘कौन सा देश बिना अपनी मंजूरी के डब्ल्यूएचओ को महामारी की जांच करने की इजाजत देगा.
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