कौन हैं हूथी और क्यों कर रहे हैं जहाजों पर हमले?
अमेरिका और ब्रिटेन ने लाल सागर में हूथी विद्रोहियों पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं.
अमेरिका और ब्रिटेन ने लाल सागर में हूथी विद्रोहियों पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं. कौन हैं ये हूथी विद्रोही और क्यों कर रहे हैं जहाजों पर हमले?ब्रिटेन और अमेरिका के लड़ाकू विमान लाल सागर में जहाजों पर हमला करने वाले हूथी विद्रोहियों पर बमबारी कर रहे हैं. पिछले कई दिनों से मालवाहक जहाजों पर हो रहे हमलों के जवाब में पश्चिमी देशों ने यह कार्रवाई की है.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को कहा, "ये हमले लाल सागर में हूथियों द्वार मालवाहक जहाजों पर किए जा रहे अभूतपूर्व हमलों का सीधा जवाब हैं. इतिहास में पहली बार जहाजों पर हमलों में एंटी-शिप बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल हो रहा है."
बाइडेन ने कहा कि व्यवसायिक जहाजों पर हो रहे हमलों के कारण अमेरिकी नागरिक खतरे में हैं. उन्होंने कहा, "मैं अपने लोगों और बेरोकटोक अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक आवाजाही की सुरक्षा के लिए और ज्यादा कड़े कदम उठाने से भी नहीं झिझकूंगा."
क्यों हो रहे हैं जहाजों पर हमले
लाल सागर से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों पर हमले 7 अक्तूबर के बाद शुरू हुए. 7 अक्तूबर को हमास ने इस्राएल पर हमला किया था, जिसके बाद इस्राएल और हमास के बीच लड़ाई शुरू हो गई. उसके कुछ ही दिन बाद हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर में जहाजों पर हमले शुरू कर दिए.
हूथी विद्रोहियों ने इस्राएल-हमास युद्ध में हमास के समर्थन का ऐलान किया और कहा कि वे इस्राएल जाने वाले हर जहाज को निशाना बनाएंगे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि जो जहाज हमले का शिकार हुए वे वाकई इस्राएल जा रहे थे.
नवंबर में हूथियों ने एक मालवाहक जहाज को इस्राएल का बताकर उस पर कब्जा कर लिया. उसके बाद से ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों के जरिए कई जहाजों को निशाना बनाया गया है. इन हमलों के डर से कई जहाज कंपनियों ने अपने-अपने जहाजों का रास्ता बदल दिया. मेडिटेरेनियन शिपिंग कंपनी, माएर्स्क, हापाग-लॉएड जैसी बड़ी जहाजरानी कंपनियों और तेल कंपनी बीपी ने कहा कि वे अपने जहाजों को लाल सागर से हटाकर अन्य रास्तों से भेज रही हैं.
कौन हैं हूथी?
हूथी एक हथियारबंद समूह है जो यमन के अल्पसंख्य शिया मुस्लिम जैदी समुदाय से जुड़े कुछ लोगों ने बनाया है. समूह का यह नाम उसके संस्थापक हुसैन अल हूथी के नाम पर रखा गया है.
1990 के दशक में यह समूह बनाया गया था. तब इस संगठन का मकसद तत्कालीन यमनी राष्ट्रपति अली अब्दुल सालेह की सरकार से विद्रोह था क्योंकि हूथियों का कहना था कि सालेह की सरकार भ्रष्ट है.
हूथियों को ईरान का समर्थन हासिल है जबकि सालेह को उनके खिलाफ सऊदी अरब का समर्थन मिला. 2003 में सऊदी अरब ने हूथियों को खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर हमले किए लेकिन उसे करारा जवाब मिला और हूथी और मजबूत हो गए.
2014 से यह संगठन यमन की सरकार के खिलाफ बगावत कर रहा है. इस बगावत के कारण देश में कई साल से गृह युद्ध चल रहा है. संयुक्त राष्ट्र ने बताया था कि 2022 तक यह गृह युद्ध 3,77,000 लोगों की जान ले चुकाथा जबकि 40 लाख से ज्यादा विस्थापित हुए.
ईरान की भूमिका
इन विद्रोहियों के खिलाफ यमन को सऊदी अरब और यूएई के नेतृत्व में कई अरब देशों का समर्थन हासिल है. बदले में हूथियों ने खुद को ईरान के नेतृत्व वाले गुट का समर्थक घोषित कर दिया. इस गुट में हमास और हिजबुल्ला जैसे संगठन शामिल हैं. ईरान और सऊदी अरब एक दूसरे के विरोधी हैं.
अमेरिकी रिसर्च इंस्टिट्यूट ‘कॉम्बैटिंग टेररिजम सेंटर' के मुताबिक 2014 से ही लेबनानी संगठन हिजबुल्ला हूथियों को हथियार और ट्रेनिंग दे रहा है. अमेरिका का कहना है कि हूथियों के पीछे ईरान का हाथ है और वही लाल सागर में हो रहे हमलों के लिए जिम्मेदार है.
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों की प्रवक्ता आड्रयाने वॉट्सन ने पत्रकारों से कहा, "हम जानते हैं कि लाल सागर में व्यवसायिक वाहनों पर हमले के अभियान की योजनाओं में ईरान शामिल है. यह पूरी योजना ईरान के हूथियों को समर्थन और प्रोत्साहन के जरिए इलाके में अस्थिरता फैलाने की गतिविधियों से मेल खाती है.” ईरान इन आरोपों से इनकार करता है.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)