रूसी सांसद निजी क्लीनिकों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं और नए कानून पहले से ही देश के कुछ हिस्सों में गर्भपात के लिए ‘उकसाने’ के लिए जुर्माना लगाने की धमकी दे रहे हैं.रूस में गर्भपात कराने की इच्छुक महिलाओं को हाल के महीनों में कई नई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. जैसे- सरकार गर्भपात से संबंधित दवाओं की बिक्री को सीमित कर रही है और रूस का ऑर्थोडॉक्स चर्च निजी क्लीनिकों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने पर जोर दे रहा है जबकि दो रूसी प्रशासनिक क्षेत्रों ने गर्भवती महिलाओं को गर्भपात के लिए ‘उकसाने' पर पहले ही जुर्माना लगा रखा है.
चर्च के अधिकारी ऐसे कानूनों की भी मांग कर रहे हैं जो विवाहित महिलाओं के लिए अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने से पहले अपने पति की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य बना देंगे. रूसी सीनेटर मार्गरीटा पावलोवा, चेल्याबिंस्क स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ कल्चर से स्नातक हैं. उन्होंने हाल ही में कहा था, "लड़कियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए निर्देशित करने को बंद करना आवश्यक है...वो भी तब, जब ऐसा करने से कुछ भी हासिल न हो रहा हो.”
उनके मुताबिक, युवा लोग खुद को खोजने में कई साल बिता देते हैं और ‘बच्चे पैदा करने के काम' से चूक जाते हैं. रूसी मीडिया के अनुसार, सीनेटर पावलोवा गर्भपात को हत्या समान और युद्ध के समय में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे जैसा बता चुकी हैं.
गर्भपात विरोधियों का निजी क्लीनिकों पर दबाव
गर्भपात को सरकारी क्लीनिकों तक सीमित करने की पहल अब रूस की संघीय संसद तक पहुंच गई है. कानून निर्माता अभी भी इस मसले पर चर्चा ही कर रहे हैं जबकि रूसी कब्जे वाले क्रीमिया सहित कई क्षेत्रों के अधिकारियों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि निजी क्लीनिक उस स्थिति को छोड़कर ‘स्वेच्छा से' गर्भपात को बंद करने के लिए सहमत हो गए हैं जब तक कि ऐसा करने के लिए कोई चिकित्सकीय औचित्य न हो. इसमें कथित तौर पर क्रीमिया की क्षेत्रीय राजधानी, सेवस्तोपोल शामिल नहीं है.
वहीं गर्भपात के समर्थकों का तर्क है कि सरकारी क्लीनिक सरकारी दिशानिर्देशों का अधिक गहनता से पालन करते हैं, जैसे कि महिलाओं को परामर्श से गुजरना पड़ता है और अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले ‘एक सप्ताह का मौन' रखना पड़ता है.
लेकिन महिला अधिकार कार्यकर्ता मारिया कार्नोविच-वालुआ कहती हैं कि गर्भवती महिलाओं को सरकारी क्लीनिकों की ओर धकेलने का एक और कारण है. डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने बताया कि निजी क्लीनिक आमतौर पर गर्भपात के लिए दवा का उपयोग करते हैं. यह तरीका सर्जरी के जरिए भ्रूण को हटाने की तुलना में बेहतर है क्योंकि इसमें मरीज को दर्द भी कम होता है और नुकसान भी कम होता है. जबकि सरकारी अस्पतालों में अक्सर गर्भपात के लिए सर्जरी का ही तरीका अपनाया जाता है.
कार्नोविच-वालुआ चेतावनी देती हैं कि रूस में सर्जरी "एक दर्दनाक और असुविधाजनक प्रक्रिया हो सकती है, जिससे कई महिलाएं डरती हैं.”
मनोवैज्ञानिक गर्भपात पर ‘नकारात्मक रुख' अपनाएंगे
रूस में गर्भपात विरोधी बयानबाजी एक बार फिर अपने चरम पर दिख रही है, तो यह वास्तव में एक दिन में नहीं हुआ है बल्कि यह देश के जनसांख्यिकीय संकट से निपटने के लिए रूसी सरकार की कई दशक से चल रही कोशिशों का नतीजा है. सोवियत संघ के पतन और 1990 के दशक के आर्थिक पतन के कारण यहां जन्म दर में अचानक गिरावट आ गई. 1987 में जहां यह दर प्रति महिला 2 से अधिक बच्चों की थी वहीं 1999 में यह दर 1.16 तक पहुंच गई.
साल 2000 में व्लादिमीर पुतिन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद जन्म दर में सुधार शुरू हुआ. विशेषज्ञों का मानना है कि इस सुधार के पीछे पुतिन के शासन के तहत आर्थिक स्थिरीकरण और बच्चे होने पर माता-पिता को राज्य-अनुमोदित वित्तीय सहायता देना दो प्रमुख कारण थे. साल 2015 में, रूस में जन्म दर प्रति महिला 1.78 बच्चों के स्तर पर पहुंच गई. हालांकि, फिर भी यह दर 2.1 के उस स्तर से नीचे थी जिस पर जन्म दर को स्थिर रखने का लक्ष्य था.
2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद से जनसांख्यिकीय से संबंधित कुछ नई बातें देखने को मिली हैं. देश में व्यापक असुरक्षा के चलते, युवा पुरुष संगठित हो रहे हैं और कई युवा जोड़े देश छोड़ कर जा रहे हैं. आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस में साल 2023 के पहले चार महीनों में 2022 के चार महीनों की तुलना में 3.1 फीसद कम बच्चे पैदा हुए.
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2022 में रूसी आबादी करीब पांच लाख 24 हजार कम हो गई और अब ये 146.4 मिलियन के करीब है.
एक ‘जादुई' समाधान
यूक्रेन युद्ध के लगातार जारी रहने के बीच, रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च के प्रमुख, पैट्रिआर्क किरिल ने रूसी सांसदों से आग्रह किया है कि गर्भपात के लिए ‘उकसाने' पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ निजी क्लीनिकों में गर्भपात पर प्रतिबंध लगाने संबंधी कानून बनाया जाए. उनकी यह अपील क्षेत्रीय स्तर पर जनसंख्या को बढ़ाने जैसी पहल की ओर इशारा करती है.
उनके अनुसार, इस तरह के उपाय देश के जनसांख्यिकीय संकट को ‘जादू की छड़ी' की तरह हल कर देंगे.
हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि गर्भपात को प्रतिबंधित करने से जन्म दर में जादुई वृद्धि नहीं होगी. वास्तव में, गर्भपात पर प्रतिबंध से अवैध गर्भपात बढ़ जाते हैं, माताओं और नवजात शिशुओं के बीच मृत्यु दर में मामूली उछाल होता है और कथित तौर पर गर्भपात पर्यटन होने लगता है यानी प्रतिबंध के चलते महिलाएं गर्भपात के लिए दूसरे देशों में चली जाती हैं.
डीडब्ल्यू से बातचीत में जनसांख्यिकीय विशेषज्ञ एलेक्सी रक्षा कहती हैं, "पहले वर्ष में जन्म दर में थोड़ी और अस्थायी वृद्धि हो सकती है, लेकिन आगे चलकर इसके प्रभाव या तो नकारात्मक होंगे या फिर तटस्थ हो जाएंगे.” जनसांख्यिकीय संकट से निपटने के लिए, एलेक्सी रक्षा का सुझाव है कि माता-पिता को राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता बढ़ाई जाए और इसे यथासंभव और ज्यादा परिवारों तक पहुंचाने का इंतजाम किया जाए.
वो कहती हैं, "इस उपाय को यदि लागू किया जाता है तो कुछ दशकों के दौरान यह उपाय जन्म दर को 15-20 फीसद तक बढ़ा सकता है.”
क्रेमलिन महिलाओं को ‘रसोईघर, बच्चों और चर्च' की ओर धकेलना चाहता है
जब बात गर्भपात पर प्रतिबंध की आती है तो खुद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी संशय में नजर आते हैं. नवंबर की शुरुआत में, रूसी राष्ट्रपति ने गर्भपात को एक विवादास्पद मुद्दा बताया और कहा कि ‘सवाल यह है कि इसके बारे में क्या किया जाए?'
उन्होंने सवाल किया, "गर्भावस्था को समाप्त करने वाली दवा बेचने पर प्रतिबंध लगा दें? या देश में सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार करें, जीवन स्तर, वास्तविक वेतन, लाभ इत्यादि बढ़ाएं... या फिर युवा परिवारों को घर खरीदने में मदद करें?”
डीडब्ल्यू के अलेक्सी स्ट्रेलनिकोव से बातचीत में राजनीति वैज्ञानिक दिमित्री ओरेश्किन कहते हैं कि रूस गर्भपात को प्रतिबंधित करने के मामले में ‘बहुत ज्यादा आगे बढ़ने' को लेकर सावधान है. ओरेश्किन के मुताबिक, रूसी सरकार को लगता है कि यह विचार रूसी आबादी के कुछ हिस्सों में अलोकप्रिय है और सरकार इस मामले में महिला एकजुटता का खतरा मोल नहीं लेना चाहती.
हालांकि वो ये भी कहते हैं कि गर्भपात को गैरकानूनी घोषित किए बिना भी सरकार ‘पुतिन शैली' में इस मामले में आगे बढ़ेगी, जिसमें वास्तविक प्रतिबंध की तरह के ही कई प्रतिबंध लगाए जाएंगे.
रूस के कुछ हिस्सों में, खासकर मुस्लिम-बहुल चेचेन्या में, यह प्रक्रिया आसान होगी और अति महानगरीय रूसी क्षेत्रों में लोग सिर्फ ‘अपनी वफादारी दिखाने के लिए प्रतिबंधों का पालन करेंगे.'
ओरेश्किन का मानना है कि पुतिन शासन महिलाओं को ‘रसोईघर, बच्चों और चर्च' की ओर धकेलने के अपने वर्तमान रूढ़िवादी तरीके को जारी रखेगा.