देश की खबरें | ''नवंबर में आयोग की रिपोर्ट मिलने के बाद जाति जनगणना के नतीजों को जारी करने पर फैसला करेंगे''
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मैसुरु (कर्नाटक), सात अक्टूबर जाति जनगणना के नतीजों को सार्वजनिक करने को लेकर अपनी सरकार पर बढ़ रहे दबाव के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को कहा कि अगले महीने रिपोर्ट मिलने के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया का यह बयान बिहार सरकार द्वारा अपने जाति सर्वेक्षण के आंकड़े जारी करने के कुछ दिन बाद आया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में, कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के. जयप्रकाश ने कहा था कि वह नवंबर में राज्य सरकार को जाति जनगणना रिपोर्ट सौंपेंगे।
सिद्धरमैया ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘जब कंथाराज की अध्यक्षता वाले आयोग ने रिपोर्ट दी, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी ने इसे नहीं लिया, अब आयोग के लिए एक अलग अध्यक्ष है। मैंने उनसे कंथाराज द्वारा दी गई रिपोर्ट को ज्यों का त्यों प्रस्तुत करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि रिपोर्ट नवंबर में दी जायेगी।’’
सबसे पिछड़े वर्गों के अलग वर्गीकरण संबंधी मांग के बारे में पूछे जाने पर, मुख्यमंत्री ने कहा, “सरकार इसे अपने दम पर नहीं कर सकती है, इसके लिए एक रिपोर्ट होनी चाहिए…। पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट आने पर हम इस पर विचार करेंगे।”
सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 2015 में राज्य में 170 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण शुरू किया था, जिसके निष्कर्ष अभी तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
तत्कालीन अध्यक्ष एच. कंथाराज के नेतृत्व में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को जाति जनगणना रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था।
कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर जाति जनगणना के जरिए समाज को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कथित बयान को लेकर एक सवाल का जवाब देते हुए सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘नहीं (यह समाज को नहीं बांटेगा), निश्चित रूप से नहीं...तथ्य अलग हैं और वह जो कह रहे हैं वह अलग है।’’
उन्होंने कहा कि गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों और एक समान समाज के निर्माण के लिए विभिन्न समुदायों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थितियों के बारे में जानना आवश्यक है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारा समाज कुल मिलाकर जाति व्यवस्था वाला है। असमानताओं से छुटकारा पाने और सभी को मुख्यधारा में लाने के लिए हमारे पास आंकड़ों की आवश्यकता है, इसलिए सामाजिक, आर्थिक और जाति सर्वेक्षण की आवश्यकता है।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी दोहराया कि राज्य सरकार शराब की दुकानें खोलने के लिए कोई नया लाइसेंस नहीं देगी।
वह उपमुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार द्वारा नीति में बदलाव की वकालत करने के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘उन्होंने (शिवकुमार) कहा है कि शराब पीना बंद नहीं किया जा सकता। क्या उन्होंने कहा है कि सरकार शराब की नई दुकानों की अनुमति देगी? ....उन्होंने अपनी राय रखी है, हम मंत्रिमंडल में फैसला लेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरे विचार से नया लाइसेंस देने की कोई जरूरत नहीं है....जनता की राय भी महत्वपूर्ण है। मेरे हिसाब से अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, हम शराब की दुकानों को नया लाइसेंस नहीं देंगे।’’
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