देश की खबरें | उत्तराखंड सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश और अपने ही हलफनामे का किया उल्लंघन : कांग्रेस

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देहरादून, एक दिसंबर कांग्रेस की उत्तराखंड इकाई ने रविवार को राज्य सरकार पर उच्च न्यायालय के आदेश और अपने ही हलफनामे का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह सांप्रदायिक घटनाओं के शामिल तत्वों पर कार्रवाई करने की बजाय उन्हें महापंचायत आयोजित करने की खुली छूट दे रही है।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने यहां संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि उत्तरकाशी की शांत वादियों को जानबूझकर सांप्रदायिक तनाव में झोंका जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘दशकों पुरानी मस्जिद का मुद्दा उठाकर प्रदेश के सौहार्द्र को नष्ट करने की साजिश रची जा रही है।’’

धस्माना ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तरकाशी की महापंचायत में भाजपा विधायकों ने भाषण देकर आग में घी डालने का काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘यह उच्च न्यायालय के आदेशों और सरकार के अदालत में दिए अपने ही हलफनामे का उल्लंघन है जिसमें महापंचायत की अनुमति न देने की बात कही गई थी।’’

उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसे लोगों को महापंचायत आयोजित करने की खुली छूट दी है। इससे सरकार की मंशा साफ है कि वह प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की सोची-समझी साजिश रच रही है।

राज्य सरकार की निंदा करते हुए कांग्रेस नेता ने जनता से ऐसी साजिशों से सावधान रहने और शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर प्रदेश का माहौल बिगाड़ने वाले तत्वों पर जल्द कार्रवाई नहीं हुई तो कांग्रेस सड़कों पर उतरकर जनता के हितों के लिए संघर्ष करेगी।

उत्तराखंड उच्च न्यायालय की सख्ती के बीच उत्तरकाशी में मस्जिद के विरोध में रविवार को महापंचायत का आयोजन हुआ जिसे तेलंगाना के भाजपा विधायक टी. राजा तथा अन्य नेताओं ने संबोधित किया।

उच्च न्यायालय ने बुधवार को उत्तरकाशी जिला प्रशासन को मस्जिद विवाद के मद्देनजर शहर में शांति व्यवस्था कायम रखने के आदेश दिए थे। याचिकाकर्ता की ओर से रविवार को प्रस्तावित महापंचायत की अनुमति नहीं दिए जाने के अनुरोध पर राज्य सरकार के अधिवक्ता ने अदालत को बताया था कि जिला प्रशासन ने ऐसी कोई अनुमति नहीं दी है।

हालांकि, जिला प्रशासन ने शुक्रवार को हिंदूवादी संगठन ‘देवभूमि विचार मंच’ को 15 शर्तों के साथ रामलीला मैदान में महापंचायत करने की अनुमति दे दी।

यह मस्जिद दशकों पहले बनायी गयी थी।हालांकि, हिंदू संगठनों का दावा है कि यह ‘अवैध’ मस्जिद सरकारी जमीन पर बनी हुई है।

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