लखनऊ, 16 अक्टूबर : उत्तर प्रदेश में सांड और नीलगाय के हमले में जान गंवाने वाले व्यक्तियों के परिजन को अब चार लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा क्योंकि राज्य सरकार ने ऐसी घटनाओं को आपदा की घटनाओं की सूची में शामिल किया है. उत्तर प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग द्वारा जारी अधिसूचना के जरिये राज्य आपदा की सूची में यह नयी प्रविष्टि की गयी है. इस सप्ताह के अंत में जारी अधिसूचना में सांड और नीलगाय के हमले के कारण हुई मौतों को राज्य आपदा घोषित किया गया है. अब तक बेमौसमी अत्यधिक बारिश, आकाशीय बिजली गिरने, तूफान, लू, नौका दुर्घटना, सर्पदंश, सीवर की सफाई के दौरान मौत, गैस के उत्सर्जन, बोरवेल में गिरने, मानव-पशु संघर्ष और कुएं में डूबने से हुई मौतों को इस सूची में शामिल किया गया था. नदी, झील, तालाब, नहर, खाई और झरने को पहले ही राज्य आपदा (राज्य आपदा) के रूप में वर्गीकृत किया जा चुका है. उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य आपदा घटना के मामले में मृतक के परिजनों को चार लाख रुपये का मुआवजा दिया जाता है.
सरकार का यह निर्णय महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस वर्ष हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में विपक्ष ने राज्य में भाजपा सरकार पर हमला करने के लिए आवारा मवेशियों की समस्याओं का उल्लेख किया था. चुनाव प्रचार के दौरान समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने राज्य में भाजपा सरकार पर निशाना साधने के लिए आवारा पशुओं की समस्या को उठाया था. उनके द्वारा ट्विटर पर साझा किये गए समाचार पत्रों की क्लिपिंग में यह भी दावा किया गया था कि "उत्तर प्रदेश में 11 लाख से अधिक जानवर खुलेआम घूम रहे हैं और मार्च में एक बैल के हमले में दो (लोग) मारे गए थे". इसमें सड़क पर लड़ते हुए दो सांडों की तस्वीर भी थी. यादव ने बिना किसी पार्टी या व्यक्ति का नाम लिए ट्वीट किया था. चुनाव प्रचार के दौरान सपा प्रमुख यादव ने अपनी पार्टी की सरकार राज्य में बनने पर सांड की टक्कर में जान गंवाने वाले लोगों के लिए मुआवजे देने की भी घोषणा की थी. उन्नाव में एक रैली के दौरान, उन्होंने अपनी पार्टी की राज्य में सरकार बनाने पर पीड़ित परिवार के लिए पांच लाख रुपये की मुआवजा राशि की घोषणा की थी. यह भी पढ़ें : By-elections For Seven Assembly Seats: सभी की नजरें अंधेरी पूर्व पर शिवसेना के खेमों पर टिकी
आवारा पशुओं की समस्या पर ध्यान देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया था कि राज्य में नयी सरकार बनने के बाद इस समस्या का समाधान किया जाएगा. इस साल जुलाई में उत्तर प्रदेश के पशुपालन मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा था कि राज्य में 6,222 गौशालाएं हैं जिनमें 8.55 लाख मवेशियों को रखा गया है. उन्होंने कहा था कि इस साल अप्रैल से अब तक राज्य में 66,000 आश्रयहीन गोवंशीय पशुओं का पुनर्वास किया गया है. उन्होंने कहा था कि प्रखंड स्तर पर विशाल गौशालाएं बनाई जा रही हैं, जहां 400 जानवरों को रखा जा सकता है. मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में 225 ऐसे आश्रय स्थल हैं और इस वर्ष के अंत तक इस संख्या को 280 तक ले जाने की योजना है. उन्होंने कहा था कि हम गौमाता को सम्मान देने के लिए काम कर रहे हैं. केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के 2019 के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 11,84,494 आवारा मवेशी हैं, जो देश में सबसे ज्यादा हैं.
सड़कों पर आने-जाने वालों के लिए खतरा पैदा करने के अलावा ये घूमने वाले जानवर फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं. विभाग ने एक योजना भी शुरू की है जिसके तहत कोई व्यक्ति आवारा मवेशियों को अपने घर या खेत में रख सकता है और उसे प्रतिदिन 30 रुपये प्रति पशु का भुगतान किया जाता है. पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत वर्तमान में कुल 1.38 लाख आवारा मवेशियों को रखा गया है. सिंह ने कहा था, "अच्छी संख्या में आवारा मवेशी कम दूध देने वाली प्रजातियों के हैं जो गरीब परिवारों को दिए जा सकते हैं जो उनकी देखभाल कर सकते हैं और दूध प्राप्त कर सकते हैं." उन्होंने कहा था कि बड़े आश्रय गृह बनाने की योजना है और ताकि हर जिले में कम से कम दो हजार या अधिक मवेशी रखे जा सकें.