देश की खबरें | अनियंत्रित यातायात से सरिस्का बाघ अभयारण्य में वन्यजीव पर गंभीर प्रभाव: रिपोर्ट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय द्वारा अधिकृत केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने राजस्थान के सरिस्का बाघ अभयारण्य में अनियंत्रित पर्यटन और यातायात के कारण वन्यजीवों को गंभीर नुकसान पहुंचने की बात कही है। समिति ने मुख्य क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध पांडुपोल हनुमान मंदिर तक निजी वाहनों के जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
नयी दिल्ली, पांच अगस्त उच्चतम न्यायालय द्वारा अधिकृत केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने राजस्थान के सरिस्का बाघ अभयारण्य में अनियंत्रित पर्यटन और यातायात के कारण वन्यजीवों को गंभीर नुकसान पहुंचने की बात कही है। समिति ने मुख्य क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध पांडुपोल हनुमान मंदिर तक निजी वाहनों के जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है।
केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने 22 जुलाई की अपनी रिपोर्ट में कहा कि अभयारण्य के अंदर भारी वाहनों के आवागमन से बाघों के प्रजनन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है तथा बाघों ने मंदिर की ओर जाने वाली तीन सड़कों के दक्षिण के क्षेत्र को "वस्तुतः नजरअंदाज" कर दिया है।
इसने सरिस्का बाघ अभयारण्य (एसटीआर) में एक विशेष बाघ बल तैनात करने और कर्मचारियों की कमी, मवेशियों को अनियंत्रिक तरीके से चराने और गांवों के स्थानांतरण जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देने की भी सिफारिश की।
सीईसी ने सुझाव दिया कि राज्य सरकार वन्यजीवों और तीर्थयात्रियों दोनों को लाभ पहुंचाने के लिए रोपवे, एलिवेटेड रोड, मोटर वाहन चलने योग्य दो सुरंग या इलेक्ट्रिक ट्रामवे के निर्माण पर विचार कर सकती है। एसटीआर में लगभग 305 चिह्नित मंदिर हैं और भारी यातायात वन्यजीवों के लिए समस्याएं पैदा करता है।
पर्यावरण मामलों में शीर्ष अदालत की सहायता करने वाली सीईसी ने कहा, "जानवरों के व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव आया है।"
संरक्षण में बाधा डालने वाला मुख्य मुद्दा बाघ अभयारण्य के मुख्य क्षेत्र के 22 किलोमीटर अंदर स्थित पांडुपोल मंदिर में पर्यटक वाहनों की अप्रतिबंधित आवाजाही है। प्राचीन मंदिर में आने वाले लाखों भक्तों को गंभीरता से लेते हुए, उच्चतम न्ययालय ने पिछले साल जुलाई में एक "स्थायी समाधान" सुझाने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था।
उच्च स्तरीय समिति में राजस्थान के वन एवं पर्यावरण विभाग, पर्यावरण मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान के अधिकारी शामिल थे। उसने सुझाव दिया था कि अभयारण्य के अंदर श्रद्धालुओं के निजी वाहनों के प्रवेश पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना स्वीकार्य समाधान नहीं हो सकता है। इसके बजाय, इसने निजी वाहनों के प्रवेश को विनियमित करने और इलेक्ट्रिक शटल बसें शुरू करने की सिफारिश की।
समिति की रिपोर्ट से असंतुष्ट उच्चतम न्यायालय ने समिति के सदस्यों और सीईसी को निर्देश दिया कि वे मिलकर तीन महीने के भीतर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। सीईसी और उच्च स्तरीय समिति के सदस्यों ने ‘इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस’ के महानिदेशक एस पी यादव को अतिरिक्त विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया।
सीईसी सदस्य चंद्रप्रकाश गोयल और यादव द्वारा किए गए क्षेत्र के दौरे और एसटीआर अधिकारियों और उच्च स्तरीय समिति के साथ हुई चर्चाओं के आधार पर, इसने उच्चतम न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपी। समिति ने पाया कि पांडुपोल मंदिर जाने वाले वाहनों सहित वर्तमान यातायात एसटीआर की वहन क्षमता से अधिक हैं।
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