देश की खबरें | यूसीसी का मसौदा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को सौंपा गया, धामी ने कहा- ‘लंबे समय से लंबित क्षण’ आया

देहरादून/नयी दिल्ली, दो फरवरी समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित समिति ने शुक्रवार को यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदे से संबंधित 740 पन्ने के दस्तावेज सौंप दिए। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि ‘‘लंबे समय से लंबित क्षण आ गया है।’’

उन्होंने कहा कि छह फरवरी को विधानसभा में पेश करने से पहले मसौदे की जांच, अध्ययन और चर्चा की जाएगी। यूसीसी पर विधेयक पारित करने के लिए विधानसभा का चार-दिवसीय विशेष सत्र पहले ही 5-8 फरवरी तक बुलाया जा चुका है।

यहां आयोजित एक कार्यक्रम में पांच-सदस्यीय समिति की अध्यक्ष और उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का चार खंडों में कुल 740 पन्नों का मसौदा मुख्यमंत्री धामी को सौंपा। प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी कार्यक्रम में उपस्थित थीं ।

इस दौरान न्यायमूर्ति देसाई (सेवानिवृत्त) के अलावा न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली (सेवानिवृत्त), सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी मौजूद रहीं।

इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान उनकी पार्टी ने जनता से वादा किया था कि नयी सरकार का गठन होते ही सबसे पहले यूसीसी लागू किया जाएगा।

धामी ने मुख्यमंत्री आवास में यूसीसी पर ‘आ रहा है यूसीसी’ नामक गीत का विमोचन किया। भूपेन्द्र बसेड़ा ने इस गीत को लिखा है और स्वर प्रदान किया है जबकि संगीत राकेश भट्ट का है।

इस गीत के माध्यम से यूसीसी के लाभ एवं आम जनमानस पर पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाया गया है। मुख्यमंत्री ने जनता को जागरूक करने तथा यूसीसी के प्रचार-प्रसार के लिए बनाए गए इस गीत से जुड़ी समस्त टीम को बधाई दी।

उन्होंने कहा कि लगातार दूसरी बार जनादेश मिलने के बाद उनकी कैबिनेट ने अपनी पहली बैठक में समिति का गठन करने का निर्णय लिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने वादे के अनुरूप सरकार बनते ही उस दिशा में कदम बढ़ाया और यूसीसी का मसौदा बनाने के लिए पांच-सदस्यीय समिति गठित की। उन्होंने बताया कि इस समिति ने दो उपसमितियां भी बनायीं, एक- इसका प्रारूप तैयार करने के लिए और दूसरी- जनसंवाद कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए।

धामी ने कहा कि मसौदा तैयार करने के लिए समिति ने 72 बैठकें कीं ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसकी पहली बैठक प्रदेश के उस दूरस्थ क्षेत्र चमोली जिले के सीमांत माणा गांव में हुई, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहले गांव की संज्ञा दी है। धामी ने कहा कि वहां समिति का जनजाति समूह के लोगों के साथ संवाद हुआ ।

मुख्यमंत्री ने मसौदा पर चर्चा के लिए शनिवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई है।

धामी ने कहा, ‘‘सूर्य देव के उत्तरायण होने के साथ ही सभी अच्छे कार्यों के लिए शुभ चरण शुरू हो गया है। अयोध्या में राम मंदिर में रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो चुका है, अंतरिम बजट संसद में पेश किया जा चुका है और यूसीसी का मसौदा भी प्राप्त हो चुका है।’’

बाद में, दिल्ली में उत्तराखंड सदन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए धामी ने कहा कि मसौदा को चर्चा के लिए छह फरवरी को राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि राज्य का कानून विभाग, संसदीय कार्य विभाग और अन्य सभी विभाग भी राज्य विधानसभा में पेश करने से पहले समिति की रिपोर्ट और यूसीसी के मसौदे का अध्ययन करेंगे। उन्होंने विपक्षी दलों सहित सभी सदस्यों से इस प्रस्ताव पर सकारात्मक चर्चा करने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए ‘सांप्रदायिक माहौल’ बनाने के वास्ते उत्तराखंड में यूसीसी ला रही है।

उन्होंने भाजपा के चुनावी वादे के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह अच्छे के लिए हो रहा है। यह सशक्तीकरण है... हम इसे किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं ला रहे हैं। हम इसे अपने वादे और संकल्प को पूरा करने के लिए ला रहे हैं, जो हमने राज्य में चुनावों के दौरान किया था।’’

धामी ने कहा, ‘‘हमने हमेशा अपने शीर्ष नेतृत्व से प्रेरणा लेकर काम किया है। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मूल मंत्र दिया है - 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' और 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास'। हम उसी उद्देश्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि यूसीसी को लागू करना एक ‘लंबे समय से लंबित मांग’ रही है और संविधान भी इसका प्रावधान करता है। उम्मीद है कि अन्य राज्य भी उत्तराखंड से प्रेरणा लेकर इसे लागू करने पर विचार करेंगे।

यूसीसी राज्य में सभी नागरिकों को उनके धर्म से परे एकसमान विवाह, तलाक, भूमि, संपत्ति और विरासत कानूनों के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करेगा।

अगर यह लागू होता है तो उत्तराखंड आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। गोवा में पुर्तगाली शासन के दिनों से ही यूसीसी लागू है।

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