देश की खबरें | आतंकवाद के मामलों में छह आरोपियों को सीबीआई की अर्जी पर जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने आतंकवाद के दो मामलों की सुनवाई जम्मू से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर जवाब देने के लिए छह आरोपियों को बुधवार को दो सप्ताह का वक्त दिया। इन मामलों में प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख यासीन मलिक भी मुकदमे का सामना कर रहा है।
नयी दिल्ली, 18 दिसंबर उच्चतम न्यायालय ने आतंकवाद के दो मामलों की सुनवाई जम्मू से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के अनुरोध संबंधी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका पर जवाब देने के लिए छह आरोपियों को बुधवार को दो सप्ताह का वक्त दिया। इन मामलों में प्रतिबंधित जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख यासीन मलिक भी मुकदमे का सामना कर रहा है।
न्यायमूर्ति एस ओका और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि छह आरोपियों ने सीबीआई की अर्जी पर अब तक जबाव नहीं दाखिल किया है। पीठ ने उनसे दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत ने अगली सुनवाई के वास्ते 20 जनवरी, 2025 की तारीख नियत की।
एक मामला 25 जनवरी, 1990 को श्रीनगर में गोलीबारी में चार भारतीय वायुसेना कर्मियों की हत्या से संबंधित है, जबकि दूसरा मामला आठ दिसंबर, 1989 को हुए तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़ा हुआ है।
मलिक ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है जबकि शेष 10 आरोपियों में से छह ने अभी तक सीबीआई की याचिका पर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
पीठ ने कहा, ‘‘यदि मुकदमे को स्थानांतरित किया जाना है तो सभी आरोपियों को सुनना होगा।’’
पीठ को बताया गया कि एक आरोपी मोहम्मद रफीक पहलू की मृत्यु हो चुकी है और उसके खिलाफ मुकदमा समाप्त हो जाएगा।
मलिक और पहलू के अलावा सीबीआई की याचिका में 10 लोगों को पक्षकार बनाया गया है। इनमें से छह आरोपियों ने सीबीआई की याचिका पर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
शीर्ष अदालत ने 28 नवंबर को यासीन मलिक और अन्य से सीबीआई की याचिका पर जवाब मांगा था।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि अपहरण मामले में सुनवाई के लिए मलिक को जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश किये जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि तिहाड़ जेल में वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा वाली अदालत है।
शीर्ष अदालत जम्मू की एक निचली अदालत के 20 सितंबर, 2022 के आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को रूबैया सईद मामले में अभियोजन पक्ष के गवाहों से जिरह करने के लिए व्यक्तिगत रूप से पेश होने का निर्देश दिया गया था।
सीबीआई ने कहा कि मलिक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है और उसे तिहाड़ जेल परिसर से बाहर ले जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
मई 2023 में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत द्वारा आतंकी वित्त पोषण मामले में सजा सुनाए जाने के बाद से मलिक तिहाड़ जेल में बंद हैं।
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