जरुरी जानकारी | सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल फंसा कर्ज सितंबर में घटकर 3.12 प्रतिशत पर: वित्त मंत्रालय
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. सरकार के विभिन्न उपायों के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) सितंबर, 2024 के अंत में घटकर एक दशक के निचले स्तर 3.12 प्रतिशत पर आ गई हैं। मार्च, 2018 में सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 14.58 प्रतिशत थी। वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
नयी दिल्ली, 12 दिसंबर सरकार के विभिन्न उपायों के कारण सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) सितंबर, 2024 के अंत में घटकर एक दशक के निचले स्तर 3.12 प्रतिशत पर आ गई हैं। मार्च, 2018 में सरकारी बैंकों का सकल एनपीए 14.58 प्रतिशत थी। वित्त मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
सरकार के चार ‘आर’ यानी समस्या की पहचान (रिकॉग्निशन), पूंजी डालना (रिकैपिटलाइजेशन), समाधान (रिजोल्यूशन) और सुधार (रिफॉर्म) जैसे उपायों से एनपीए में कमी आई है।
मंत्रालय ने कहा कि 2015 के बाद से, सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के समक्ष चुनौतियों के समाधान के लिए चार ‘आर’ की रणनीति अपनायी। इसके तहत एनपीए को पारदर्शी रूप से पहचानने, उसका समाधान और फंसे कर्ज की वसूली, पीएसबी में पूंजी डालने और वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिए कदम उठाए गए।
पीएसबी में पूंजी पर्याप्तता अनुपात 3.93 प्रतिशत सुधरकर सितंबर, 2024 में 15.43 प्रतिशत पर पहुंच गया, जो मार्च, 2015 में 11.45 प्रतिशत था।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2023-24 के दौरान 1.41 लाख करोड़ रुपये का सर्वाधिक शुद्ध लाभ अर्जित किया, जो 2022-23 में 1.05 लाख करोड़ रुपये था। 2024-25 की पहली छमाही में यह आंकड़ा 0.86 लाख करोड़ रुपये रहा।
पिछले तीन साल में, पीएसबी ने कुल 61,964 करोड़ रुपये का लाभांश दिया है।
वित्त मंत्रालय ने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक वित्तीय समावेश को बढ़ाने लिए देश के हर कोने तक अपनी पहुंच बढ़ा रहे हैं। उनका पूंजी आधार मजबूत हुआ है और उनकी संपत्ति गुणवत्ता बेहतर हुई है। अब वे पूंजी के लिए सरकार पर निर्भर रहने के बजाय बाजार से पूंजी जुटाने में समक्ष है।’’
देश में वित्तीय समावेश को मजबूत करने के लिए 54 करोड़ जन धन खाते और विभिन्न प्रमुख वित्तीय योजनाओं... पीएम-मुद्रा, स्टैंड-अप इंडिया, पीएम-स्वनिधि, पीएम विश्वकर्मा... के तहत 52 करोड़ से अधिक बिना किसी गारंटी के कर्ज स्वीकृत किए गए हैं।
वित्त मंत्रालय ने कहा कि मुद्रा योजना के तहत, 68 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं और पीएम-स्वनिधि योजना के तहत, 44 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं।
बैंक शाखाओं की संख्या सितंबर, 2024 में 1,60,501 हो गई जो मार्च, 2014 में 1,17,990 थी। 1,60,501 शाखाओं में से 1,00,686 शाखाएं ग्रामीण और कस्बों में हैं।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल कर्ज मार्च, 2024 में उल्लेखनीय रूप से बढ़कर 175 लाख करोड़ रुपये हो गया है। यह 2004-2014 के दौरान 8.5 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 61 लाख करोड़ रुपये रहा था।
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