देश की खबरें | उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को छह से 15 हजार रुपये पेंशन मिलने पर शीर्ष अदालत हैरान
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नयी दिल्ली, सात नवंबर उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उच्च न्यायालय के कुछ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को 6,000 रुपये से 15,000 रुपये के बीच मामूली पेंशन मिलने पर ‘‘हैरानी’’ जताई।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति पी. के. मिश्रा और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने कहा है कि उन्हें मात्र 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है।
याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक न्यायिक अधिकारी के रूप में सेवा देने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गए थे। उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की गणना करते समय उनकी न्यायिक सेवा पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘हमारे सामने उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, जो चौंकाने वाला है। ऐसा कैसे हो सकता है?’’
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि न्यायाधीशों के लिए सेवानिवृत्ति के बाद की सुविधाएं प्रत्येक उच्च न्यायालय में अलग-अलग हैं और कुछ राज्यों ने बहुत बेहतर लाभ प्रदान किए हैं।
इसके बाद, उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई 27 नवंबर के लिए निर्धारित कर दी।
मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा था कि उच्च न्यायालयों के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के पेंशन लाभ की गणना में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे बार या जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए हैं।
शीर्ष अदालत ने कहा था कि जिला न्यायपालिका से पदोन्नत हुए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पेंशन लाभों की गणना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उनके अंतिम वेतन के आधार पर की जानी चाहिए।
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