धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश), 13 अप्रैल विभिन्न कार्यालयों की तरह निर्वासित तिब्बत सरकार भी घर से काम करने के मानदंड का पालन कर रही है।
केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) परिसर वीरान दिखता है और इसके द्वारा संचालित स्कूल बंद हैं। स्कूलों की वेबसाइटों के जरिए बच्चों को निबंधों के विषय दिए जा रहे हैं जिन्हें बच्चे घर पर लिख सकते हैं।
यहां के तिब्बती समुदाय को पिछले महीने बड़ा झटका लगा था जब उनके एक सदस्य की मौत हो गयी थी। राज्य में कोरोना वायरस के कारण मौत होने का यह पहला मामला था। पीड़ित कुछ दिन पहले ही अमेरिका की यात्रा से लौटा था।
सीटीए ने मृतक के परिवार के सदस्यों को पृथक वास में रखा और स्थानीय अधिकारियों ने मैक्लोडगंज को सील कर दिया। यह धर्मशाला का एक पर्यटन केंद्र है,जहां तिब्बती निकाय का मुख्यालय है। सीटीए के अनुसार, समुदाय में किसी और के वायरस से संक्रमित होने का मामला सामने नहीं आया है।
इससे पहले सीटीए ने भारत में तिब्बती समुदाय के 1.4 लाख लोगों को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करने को कहा था तथा घरों के अंदर ही रहने की आवश्यकता पर जोर दिया था।
तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा भी मैक्लोडगंज में ही रहते हैं।
लॉकडाउन लागू होने के बाद सीटीए के कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं तथा बैठकें, प्रशिक्षण कार्यक्रम और कार्यशालाएं बंद हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री राहत कोष में एक दिन का वेतन देने का भी वादा किया है।
सीटीए की गृह सचिव टी डोलमा का कहना है कि देश में 36 तिब्बती बस्तियों और 41 वृद्धाश्रमों में कोरोना वायरस संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, "हम बीमारी के खिलाफ लंबी लड़ाई के लिए तैयार हैं।’’
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