विधायक ग्यासुद्दीन शेख, इमरान खेड़ावाला और जावेद पीरजादा ने राष्ट्रपति को इस संबंध में पत्र लिखा है। इसकी जानकारी स्वयं शेख ने शनिवार को दी।
शेख ने पत्र की प्रति ट्विटर पर साझा करते हुए लिखा,‘‘ गुजरात कांग्रेस विधायक ग्यासुउद्दीन, इमरान खेड़ावाला और जावेद पीरजादा ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बिल्कीस बानो मामले में पत्र लिखा है।’’
पत्र में कहा गया है कि बिल्कीस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के लिए गुजरात की भाजपा सरकार की ओर से लिए गए ‘‘शर्मनाक फैसले ने दिन को ‘कलंकित’ (जिस दिन फैसला लिया गया है) कर दिया है।
पत्र में कहा गया है, ‘‘हालांकि केंद्र सरकार का स्पष्ट दिशानिर्देश है कि दुष्कर्म के मामले में उम्र कैद की सजा पाए दोषियों को क्षमा नीति के तहत रिहा नहीं किया जाना चाहिए, इसके बावजूद गुजरात की भाजपा सरकार ने बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले के 11 दोषियों को माफी देकर असंवेदनशील रुख दिखाया है। यह उन लोगों के लिए निराशाजनक फैसला है जो न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’’
पत्र में कहा गया कि बिल्कीस बानो मामले के दोषियों को वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म और तीन साल की बेटी सहित परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए कठोरतम सजा दी जानी चाहिए।
पत्र के मुताबिक, ‘‘इसके उलट गुजरात की भाजपा सरकार ने ऐसे जघन्य अपराध करने वालों को माफी दे दी।’’
गौरतलब है कि माफी नीति के तहत गुजरात सरकार द्वारा दोषियों को माफी दिए जाने के बाद बिल्कीस बानो सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा के उप कारागार से रिहा कर दिया गया था, जिसकी विपक्षी पार्टियों ने कड़ी निंदा की है।
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