देश की खबरें | प्रवासी श्रमिकों को राशनकार्ड मुहैया कराने के लिए तीन महीने का समय और दिया गया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सरकारी पोर्टल ई-श्रम पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने के लिए तीन महीने का और समय दिया।

नयी दिल्ली, 20 अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सरकारी पोर्टल ई-श्रम पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड उपलब्ध कराने के लिए तीन महीने का और समय दिया।

न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने के लिए व्यापक प्रचार किया जाए ताकि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लाभ उठा सकें।

शीर्ष अदालत का आदेश याचिकाकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोक्कर द्वारा दायर एक आवेदन पर आया है, जिन्होंने मांग की थी कि एनएफएसए के तहत राशन कोटे से अलग प्रवासी मजदूरों को राशन दिया जाए।

शीर्ष अदालत ने 17 अप्रैल को कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें केवल इस आधार पर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने से इनकार नहीं कर सकतीं कि एनएफएसए के तहत जनसंख्या अनुपात सही तरीके से बरकरार नहीं रखा गया है।

अदालत ने कहा था कि प्रत्येक नागरिक को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा था कि कल्याणकारी राज्य में लोगों तक पहुंचना सरकार का कर्तव्य है।

अदालत ने कहा, “हम यह नहीं कह रहे हैं कि सरकार अपना कर्तव्य निभाने में विफल रही है या कोई लापरवाही हुई है। फिर भी, यह मानते हुए कि कुछ लोग छूट गए हैं, केंद्र और राज्य सरकारों को यह देखना चाहिए कि उन्हें राशन कार्ड मिले ।”

शीर्ष अदालत ने कहा था, “केंद्र या कोई राज्य सरकार केवल इस आधार पर राशन कार्ड देने से इनकार नहीं कर सकती है कि एनएफएसए के तहत जनसंख्या अनुपात ठीक से बनाए नहीं रखा गया है।'

शीर्ष अदालत ने कहा कि जरूरतमंदों तक पहुंचना सरकार का काम है और कभी-कभी कल्याणकारी राज्य में “कुएं को प्यासे के पास जाना चाहिए।” केंद्र ने कहा है कि 28.86 करोड़ श्रमिकों ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों जैसे निर्माण श्रमिकों, प्रवासी मजदूरों, सड़क विक्रेताओं और घरेलू सहायकों के लिए बने ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।

केंद्र ने कहा, “24 राज्यों और उनके श्रम विभागों के बीच डेटा साझा किया जा रहा है। प्रारंभिक डेटा एकत्र किया गया है। लगभग 20 करोड़ लोग राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थी हैं, जो पोर्टल पर पंजीकृत हैं। एनएफएसए केंद्र और राज्यों का एक संयुक्त प्रयास है।”

भारद्वाज, मंदर और छोकर- तीन कार्यकर्ताओं की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने राशन कार्ड का मुद्दा उठाया और कहा कि पोर्टल पर पंजीकृत होने के बावजूद अधिकतर श्रमिक राशन से वंचित हैं क्योंकि उनके पास राशन कार्ड नहीं हैं।

भूषण ने कहा था कि एनएफएसए अंत्योदय अन्न योजना (एएवाई) के तहत 75 फीसदी ग्रामीण आबादी और 50 फीसदी शहरी आबादी आती है।

उन्होंने कहा था कि हालांकि, यह संख्या 2011 की जनगणना पर आधारित है। शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि प्रवासी श्रमिक राष्ट्र निर्माण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और उनके अधिकारों की अनदेखी नहीं की जा सकती है।

अदालत ने केंद्र से एक तंत्र तैयार करने के लिए भी कहा था ताकि उन्हें बिना राशन कार्ड के खाद्यान्न प्राप्त हो सके।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\