देश की खबरें | सीपीडब्ल्यूडी की फर्जी वेबसाइट बनाकर बेरोजगार युवाओं के ठगने के आरोप में तीन गिरफ्तार

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की फर्जी वेबसाइट बनाकर और सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं को ठगने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) की फर्जी वेबसाइट बनाकर और सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं को ठगने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस ने बुधवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि आरोपी अमित कुमार (27), रामदयाल लाल (27) और गुरदीप (28) ने सीपीडब्ल्यूडी की आधिकारिक वेबसाइट से मिलती-जुलती वेबसाइट बनाई और यह प्रामाणिक लगे इसके लिए असली वेबसाइट की सामग्री की नकल की। आरोपियों ने फर्जी परीक्षा भी आयोजित कराई और पीड़ितों को नियुक्ति की भी पेशकश की।

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पुलिस ने बताया कि कुमार बीटेक पाठ्क्रम का ड्रॉपआउट है और गिरोह का सरगना है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में टोल लिपिक की नौकरी छोड़ने के बाद उसने सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार युवाओं से ठगी शुरू कर दी।

पुलिस ने बताया कि अबतक आरोपी ने 50 बेरोजगार युवाओं से 10 से 12 लाख रुपये की ठगी की गई है और इन पैसों से कुमार ने लखनऊ में प्लॉट और कार खरीदी है।

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उन्होंने बताया कि इस मामले की जांच नयी दिल्ली के निर्माण भवन में कार्यरत सीपीडब्ल्यूडी के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा साउथ एवेन्यू पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने के बाद शुरू की गई।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान फर्जी वेबसाइट बनाने के लिए इस्तेमाल फोन नंबर की तकनीकी और साइबर जांच की गई जिसके बाद रामदयाल लाल की पहचान हुई।

पुलिस उपायुक्त (नयी दिल्ली) ईश सिंघल ने बताया, ‘‘सोमवार को हमारी टीम को सूचना मिली की फर्जी वेबसाइट बनाकर बेरोजगार युवाओं को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले महिपालपुर आ रहे हैं। इसके बाद जाल बिछाकर तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया।’’

उन्होंने बताया कि आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, एक आईफोन सहित पांच मोबाइल फोन, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का फर्जी पहचानपत्र और विजिटिंग कार्ड बरामद किया गया है।

अधिकारी ने बताया कि जांच के दौरान खुलासा हुआ कि कुमार अपना परिचय सीपीडब्ल्यूडी (एनएचआईए) के इंजीनियर के तौर पर देता था। साथ ही विभाग से अपना संबंध स्थापित करने के लिए और लोगों को प्रभावित करने के लिए वह एनएचआईए के फर्जी पहचानपत्र का इस्तेमाल करता था।

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