देश की खबरें | विश्व चैम्पियनशिप में भागीदारी पर खतरा, अदालत के आदेश को चुनौती देगा डब्ल्यूएफआई

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने शुक्रवार को कहा कि वह दिल्ली उच्च नयायालय के आदेश को चुनौती देगा जिसमें खेल संस्था के कामकाज संभालने के लिए आईओए (भारतीय ओलंपिक संघ) की तदर्थ समिति को बहाल करने का आदेश दिया गया है और उसका कहना है कि इस हस्तक्षेप से भारतीय पहलवानों की आगामी विश्व चैम्पियनशिप में भागीदारी पर खतरा मंडरा सकता है।

नयी दिल्ली, 16 अगस्त भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने शुक्रवार को कहा कि वह दिल्ली उच्च नयायालय के आदेश को चुनौती देगा जिसमें खेल संस्था के कामकाज संभालने के लिए आईओए (भारतीय ओलंपिक संघ) की तदर्थ समिति को बहाल करने का आदेश दिया गया है और उसका कहना है कि इस हस्तक्षेप से भारतीय पहलवानों की आगामी विश्व चैम्पियनशिप में भागीदारी पर खतरा मंडरा सकता है।

मौजूदा आदेश डब्ल्यूएफआई के कामकाज पर रोक लगाने और खेल के लिए राष्ट्रीय महासंघ के रूप में कोई भी गतिविधि करने से रोकने की मांग की याचिका पर आया है।

शीर्ष पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और उनके पति सत्यव्रत कादियान की याचिका पर अंतरिम आदेश पारित करते हुए न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि आईओए समिति का पुनर्गठन कर सकता है।

आईओए ने चार अप्रैल को तदर्थ पैनल भंग कर दिया था और यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने डब्ल्यूएफआई के चुनाव कराने के बाद इस साल 13 फरवर के निलंबन हटा दिया था।

डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष संजय सिंह ने पीटीआई से कहा, ‘‘हम इसे दो न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष ले जायेंगे। आईओए ने अपना तदर्थ पैनल भंग कर दिया था। हम विश्व संचालन संस्था यूडब्ल्यूडब्ल्यू और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) से भी संपर्क करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी थी कि बाहरी हस्तक्षेप का असर खिलाड़ियों पर पड़ सकता है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘दो विश्व चैम्पियनशिप होने वाली हैं। भारतीय पहलवानों की भागीदारी खतरे में आ सकती है। ’’

अंडर-17 विश्व चैम्पियनशिप 19 से 25 अगस्त तक जोर्डन में अम्मान में आयोजित की जायेगी जबकि अंडर-20 विश्व चैम्पियनशिप दो से आठ सितंबर तक स्पेन के पोंटेवेड्रा में होगी।

यूडब्ल्यूडब्ल्यू अध्यक्ष नेनाद लालोविच ने 25 अप्रैल को डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष को लिखे पत्र में स्पष्ट किया था कि महासंघ का कामकाज संभाल रहा तदर्थ पैनल उन्हें स्वीकार्य नहीं है।

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