जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह तेल तिलहनों में रहा गिरावट का रुख

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नयी दिल्ली, तीन दिसंबर बैंकों का ऋण साखपत्र (लेटर आफ क्रेडिट) बरकरार रखने के लिए आयातित तेलों का कारोबार मार्जिन के बगैर भी जारी रखने से से बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में मूंगफली को छोड़कर बाकी खाद्य तेल तिलहनों में गिरावट रही।

बाजार सूत्रों ने कहा कि धन की कमी का सामना कर रहे आयातकों का इतना बुरा हाल है कि बैंकों का ऋण लौटाने के लिए समय रहने के बावजूद उनके पास खाद्यतेलों का स्टॉक रखने की क्षमता नहीं रह गई है। इसकी वजह से वे आयातित तेल को लागत से कम दाम पर ही निपटा दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह स्थिति अधिक समय तक नहीं रह सकती और इससे आगे खाद्यतेलों का आयात प्रभावित होगा। नवंबर-दिसंबर में कम आयात होने की आशंका पहले से ही बनी हुई है।

दूसरी ओर देश की पेराई मिलों को देशी तिलहनों की पेराई करने में नुकसान है क्योंकि पेराई के बाद देशी तेल तिलहन और भी महंगे हो जाते हैं और सस्ते आयातित तेलों के आगे देशी तेल की खपत नहीं हो पाती है।

सूत्रों ने कहा कि किसान कम दाम पर मूंगफली बेचने से परहेज कर रहे हैं। मूंगफली पेराई करने में पेराई मिलों को नुकसान हो रहा है क्योंकि आयातित खाद्यतेलों की मौजूदगी में पेराई बाद मूंगफली तेल के और महंगा होने की वजह से मूंगफली तेल बिकता नहीं है। इसके अलावा खरीफ और रबी दोनों ही मौसम में मूंगफली की पैदावार कम भी रही है। इससे बीते सप्ताह मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में सुधार आया।

सूत्रों के मुताबिक, लगभग तीन साल पहले जब सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल के दाम 1,100-1,200 डॉलर प्रति टन के दायरे में था तब आयात शुल्क 38.5 प्रतिशत था। लेकिन जब इन तेलों के दाम बढ़ना शुरु हुए और सूरजमुखी का दाम 2,500 डॉलर और सोयाबीन डीगम तेल 2,250 डॉलर प्रति टन तक जा पहुंचा तो उस वक्त सरकार ने अलग-अलग चरणों में 38.5 प्रतिशत के आयात शुल्क को घटाते हुए 5.5 प्रतिशत कर दिया।

मौजूदा समय में सूरजमुखी तेल का दाम 1,000 डॉलर और सोयाबीन डीगम तेल का दाम 1,060-1,070 डॉलर प्रति टन है और बीते तीन वर्षो में सरसों, सूरजमुखी और सोयाबीन के एमएसपी में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। इसके बावजूद इन खाद्यतेलों पर 5.5 प्रतिशत का ही आयात शुल्क लागू है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सरसों, मूंगफली और सूरजमुखी तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी कम दाम पर बिक रहे हैं। अपनी ऊपज का कम दाम मिलने से देशी तिलहन किसानों का बुरा हाल है। देश के प्रमुख तेल संगठन सरकार को तेल उद्योग, पेराई मिलों, किसानों और खाद्यतेलों के महंगे में खरीद से त्रस्त उपभोक्ताओं की चिंता से सरकार को अवगत कराने में विफल रहे हैं।

पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 20 रुपये घटकर 5,640-5,680 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 25 रुपये घटकर 10,475 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 10-10 रुपये का नुकसान दिखाते हुए क्रमश: 1,775-1,870 रुपये और 1,775-1,885 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 120-120 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 5,140-5,190 रुपये प्रति क्विंटल और 4,940-4,990 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 50 रुपये, 50 रुपये और 75 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 10,350 रुपये और 10,150 रुपये और 8,775 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में केवल मूंगफली तेल-तिलहन के दाम मजबूती पर बंद हुए। मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 150 रुपये, 300 रुपये और 45 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 6,750-6,825 रुपये क्विंटल, 15,700 रुपये क्विंटल और 2,335-2,610 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

गिरावट के आम रुझानों के अनुरूप समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 50 रुपये के नुकसान के साथ 8,200 रुपये, पामोलीन दिल्ली का भाव 75 रुपये के नुकसान के साथ 9,075 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 30 रुपये के नुकसान के साथ 8,370 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 25 रुपये गिरकर 8,925 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

राजेश

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