नयी दिल्ली, 17 अप्रैल केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि एक व्यक्ति जो अपनी पत्नी को कैंसर के उपचार के लिए चेन्नई ले जाना चाहता है, वह ऐसा कर सकता है क्योंकि यह चिकित्सकीय आपात स्थिति है।
हालांकि केंद्र सरकार ने सफाई दी कि उन्हें हवाई एंबुलेंस से अपनी पत्नी को ले जाने के लिए जरूरी अनुमति लेनी होगी।
न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर के समक्ष दलील दाखिल की गयी। अदालत ने पूछा था कि क्या व्यक्ति अपनी पत्नी को कैंसर के उपचार के लिए अपोलो प्रोटोन कैंसर सेंटर ले जा सकता है।
इस बीच दिल्ली सरकार की कर्मचारी स्वास्थ्य योजना के तहत उपचार का खर्च दिये जाने की व्यक्ति की अतिरिक्त याचिका के संबंध में आप सरकार ने अदालत से कहा कि उसके दावे की जांच के लिए एक समिति बनाई गयी, लेकिन अभी तक फैसला नहीं आया है।
अदालत ने दलीलों पर संज्ञान लेने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तारीख तय की।
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता की पत्नी कार्सिनोमा से जूझ रही हैं और उन्हें चेन्नई के अस्पताल में प्रोटोन थैरेपी कराने की सलाह दी गयी है। उन्होंने सारी जानकारी दिल्ली सरकार को भेज दी जिसमें अनुमानित लागत भी शामिल है।
हालांकि उन्होंने अपनी याचिका में कहा कि कोई जवाब नहीं मिलने पर उन्हें अदालत आना पड़ा।
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