देश की खबरें | जम्मू कश्मीर में है डर का माहौल, कोई अपने भविष्य को लेकर पक्का नहीं है: उमर अब्दुल्ला
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में पर्यटकों के आगमन को स्थिति सामान्य हो जाने के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि डर का ऐसा माहौल है जहां कोई भी अपने भविष्य को लेकर निश्चित नहीं है।
श्रीनगर , 27 मई नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में पर्यटकों के आगमन को स्थिति सामान्य हो जाने के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए क्योंकि डर का ऐसा माहौल है जहां कोई भी अपने भविष्य को लेकर निश्चित नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार से पूछा जाना चाहिए कि स्थिति उस बिंदु तक कैसे पहुंची कि कुछ साल पहले आतंक मुक्त घोषित किये गये क्षेत्रों में भी आतंकवाद लौट आया।
अब्दुल्ला ने बडगाम के चदूरा में संवाददाताओं से कहा, ‘‘ कश्मीर में पर्यटकों के आगमन को स्थिति सामान्य हो जाने के संकेत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। पर्यटक तो 1995 से ही आ रहे हैं, किन्हीं सालों में कम तो किन्हीं सालों ज्यादा। ’’
नेकां नेता टेलीविजन कलाकार एवं टिकटॉक स्टार अमरीन भट की मौत पर शोक संवेदना प्रकट करने वहां गये थे। बुधवार को अमरीन को उसके घर पर आतंकवादियों ने मार डाला था।
अब्दुल्ला ने कहा कि स्थिति सामान्य हो जाने के दावे से जमीनी हकीकत सामने नहीं आती है। उन्होंने कहा, ‘‘ डर का माहौल है। किसी को निश्चित नहीं है कि अगला निशाना कौन होगा। हमारे बीच एक महिला को उसके घर पर ही गोली दागकर मार डाला गया एवं इस हमले में उसका भतीजा घायल हो गया। एक ऐसी ही घटना ड्यूटी से चले गये पुलिसकर्मियो में एक के साथ घटी। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमने श्रीनगर को आतंकवाद मुक्त कर दिया था , गांदेरबल जिले, बडगाम के इलाके घटनामुक्त थे। आज मैं तो सरकार में नही हूं और न ही स्थिति सामान्य हो जाने का दावा करता हूं। यह सवाल वर्तमान सरकार से पूछा जाना चाहिए।’’
जब उनसे पुलिस के इस दावे के बारे में पूछा गया कि अमरीन के हत्यारे मारे गये तो पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने कहा कि वह इसपर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं क्येांकि उन्हें खुफिया सूचना पर आधारित अभियान की जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम निर्दोष लोगों को मारे जाने की प्रवृति से परेशान हैं और वर्तमान सरकार को उसपर विराम लगाने का तरीका ढूंढना हेागा। ’’
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