देश की खबरें | असम में थानों को और अधिक जन-केंद्रित बनाने की जरूरत: हिमंत विश्व शर्मा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि राज्य में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में कमी आने के साथ ही थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में तब्दील करना होगा।

गुवाहाटी, सात सितंबर असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने शनिवार को कहा कि राज्य में उग्रवाद से जुड़ी घटनाओं में कमी आने के साथ ही थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में तब्दील करना होगा।

शर्मा ने सार्वजनिक सेवा की जिम्मेदारियों में पुलिसकर्मियों की सहायता के लिए नागरिक समितियों की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले तीन दशक से असम उग्रवाद से जूझ रहा है। पुलिस का ध्यान उग्रवाद-रोधी उपायों पर केंद्रित था। मैं यह नहीं कहूंगा कि उग्रवाद पूरी तरह से खत्म हो गया है, लेकिन घटनाएं कम हो रही हैं। थानों को अधिक जन-केंद्रित स्थानों में बदलना होगा।’’

मुख्यमंत्री राज्य के सभी 307 थानों की नागरिक समितियों के पहले राज्य-स्तरीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिसकर्मियों की ड्यूटी की लंबी और कठिन प्रकृति उन्हें उनके नियमित व्यवहार में कठोर बनाती है।

उन्होंने कहा कि नागरिक समितियों की भूमिका कर्मियों को नागरिक कार्यों में संलग्न होने में मदद करने से तनाव भी कुछ कम हो सकता है।

शर्मा ने कहा कि समाज के भीतर पैदा सकारात्मकता ‘धीमे, लेकिन स्थायी’ सामाजिक परिवर्तन का कारक हो सकती है और समितियां पुलिस बल को सौंपी गई सार्वजनिक सेवा जिम्मेदारियों के निर्वहन में मदद कर सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘पुलिस व्यवस्था के दो पहलू हैं- आपराधिक न्याय का प्रशासन और सार्वजनिक सेवा। पहले पहलू को भारतीय न्याय संहिता द्वारा निपटा जा सकता है। आपराधिक न्याय, आपराधिक जांच, आरोप-पत्र दाखिल करना, पहले पहलू में शामिल हैं, समितियों का इस संबंध में कोई लेना-देना नहीं है।’’

शर्मा ने कहा, ‘‘उन्हें (समितियों को) थानों और जनता के बीच अच्छे संबंध बनाए रखने होंगे।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि थाने मेले एवं त्योहार आयोजित करने की अनुमति देने, अपने अधिकार क्षेत्र के तहत निवासियों को विभिन्न प्रमाण-पत्र जारी करने जैसी कई जिम्मेदारियां निभाते हैं तथा समितियां ऐसी सेवाओं के त्वरित निपटान में सकारात्मक भूमिका निभा सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘अपराध दर में कमी आ रही है। जिन मामलों में फॉरेंसिक राय की जरूरत नहीं है, उनमें आरोप-पत्र समय पर दाखिल किए जा रहे हैं। हम अपने फॉरेंसिक साइंस इकाई में भी सुधार कर रहे हैं, ताकि ऐसे मामलों में भी आरोप-पत्र तीन महीने के भीतर दाखिल किए जा सकें।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि नयी समितियां अक्टूबर से काम करना शुरू कर देंगी और 12-सदस्यीय समितियां जनता एवं पुलिस के बीच सेतु का काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\