इस्लामाबाद, 14 जनवरी पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कहा है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवाद प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की उसके क्षेत्र में मौजूदगी और सीमा पार हमले को लेकर है।
सरकारी प्रसारक ‘पीटीवी न्यूज’ के हवाले से ‘डॉन’ अखबार ने बताया कि सेना प्रमुख ने सोमवार को पेशावर में खैबर पख्तूनख्वा के नेताओं के साथ बैठक के दौरान यह बात कही।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा पर लगातार झड़पों के कारण रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। पाकिस्तान लगातार अफगानिस्तान से मांग करता रहा है कि वह टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करे, क्योंकि वह अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल पाकिस्तान में हमले करने के लिए कर रहा है। अफगानिस्तान ने इन आरोपों से इनकार किया है।
पिछले महीने, झड़पों के दौरान अफगानिस्तान के कम से कम आठ लोग मारे गए और 13 लोग घायल हो गए। अफगानिस्तान के पूर्वी पक्तिका प्रांत में कथित टीटीपी शिविरों पर पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों द्वारा बमबारी किए जाने के बाद से दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी हुई।
इस झड़प में फ्रंटियर कोर का एक सैनिक मारा गया, जबकि 11 अन्य घायल हो गए। यह झड़प अफगानिस्तान की ओर से आतंकवादियों द्वारा पाकिस्तान में घुसपैठ करने की नाकाम कोशिश के बाद शुरू हुई थी।
‘डॉन’ की खबर के अनुसार, नेताओं के साथ बातचीत में इस मुद्दे पर सेना प्रमुख ने कहा कि अफगानिस्तान एक ‘‘भाईचारा वाला पड़ोसी (और) इस्लामी देश’’ है, जिसके साथ पाकिस्तान ‘‘हमेशा’’ बेहतर संबंध चाहता है।
सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान के साथ एकमात्र मतभेद वहां फितना अल-ख्वारिज की मौजूदगी है और सीमा पार से पाकिस्तान में आतंकवाद का प्रसार है।’’
जुलाई में सरकार ने एक आधिकारिक अधिसूचना में टीटीपी को ‘फितना अल ख्वारिज’ (भ्रष्ट तत्व जिन्होंने इस्लाम की छवि को नष्ट कर दिया है) नाम दिया गया, जबकि सभी संस्थाओं को पाकिस्तान पर आतंकवादी हमलों के अपराधियों का उल्लेख करते समय खारिजी (बहिष्कृत) शब्द का इस्तेमाल करने का आदेश दिया।
जनरल मुनीर ने कहा कि यदि सभी लोग मिलकर काम करें और सहयोग करें तो स्थिति सुधर जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपी) पर सभी पक्षों की सहमति उत्साहजनक है, लेकिन इस पर तेजी से काम करना होगा।
एनएपी 20-सूत्रीय योजना है जिसे सरकार ने 2014 में आतंकवाद और उग्रवाद से निपटने के लिए बनाया था। इस योजना को हितधारकों और संघीय मंत्रालयों के सहयोग से तैयार किया गया था।
उन्होंने कहा कि देश के राजनीतिक नेतृत्व ने सैन्य अधिकारियों से पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं के समाधान के लिए अफगानिस्तान के साथ बातचीत करने को कहा है।
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