देश की खबरें | 1988 ‘रोडरेज’ मामले में सिद्धू के खिलाफ पुनर्विचार याचिका पर 25 मार्च को सुनवायी करेगी शीर्ष अदालत

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नयी दिल्ली, 21 मार्च उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह 1988 के एक ‘रोडरेज’ मामले में क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू को मई 2018 में दी गई सजा के पुनर्विचार के अनुरोध वाली याचिका पर 25 मार्च को सुनवाई करेगा।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति एस के कौल की विशेष पीठ के समक्ष मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

दोपहर भोजन के बाद के सत्र में जैसे ही न्यायमूर्ति खानविलकर और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ मामलों की सुनवाई के लिए बैठी, न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा कि विशेष पीठ शुक्रवार को पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगी।

न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘यह पीठ शेष कार्य जारी रखने जा रही है। इसलिए, विशेष पीठ के मामले को शुक्रवार अपराह्न 2 बजे लिया जा सकता है।’’

शीर्ष अदालत ने 25 फरवरी को कांग्रेस नेता सिद्धू को इस मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था , जिसमें कहा गया है कि मामले में उनकी सजा केवल जानबूझ कर चोट पहुंचाने के अपराध के लिए नहीं होनी चाहिए थी।

हालांकि शीर्ष अदालत ने मई 2018 में सिद्धू को 65 वर्षीय व्यक्ति को "जानबूझकर चोट पहुंचाने" के अपराध का दोषी ठहराया था, लेकिन इसने उन्हें जेल की सजा से बख्शा था और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।

बाद में सितंबर 2018 में, शीर्ष अदालत ने मृतक के परिवार के सदस्यों द्वारा दायर एक पुनर्विचार याचिका की पड़ताल करने के लिए सहमति व्यक्त की थी और नोटिस जारी किया था, जो सजा की मात्रा तक सीमित था।

इस याचिका के जवाब में सिद्धू ने कहा है कि शीर्ष अदालत ने पुनर्विचार याचिका की सामग्री का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने के बाद इसके दायरे को सजा की मात्रा तक सीमित कर दिया है।

जवाब में कहा गया, ‘‘यह अच्छी तरह से तय रुख है कि जब भी यह अदालत सजा को लेकर नोटिस जारी करती है, तब तक केवल उस प्रभाव के लिए दलीलें सुनी जाएंगी जब तक कि कुछ असाधारण परिस्थिति या सामग्री अदालत को नहीं दिखाई जाती हैं। यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि वर्तमान आवेदन की सामग्री केवल खारिज की गई दलीलों को दोहराती है और इस न्यायालय को सभी पहलुओं पर हस्तक्षेप करने के लिए कोई असाधारण सामग्री नहीं दिखाती है।’’’

जवाब में कहा गया है कि शीर्ष अदालत ने इस निष्कर्ष के लिए मेडिकल साक्ष्य सहित रिकॉर्ड पर मौजूद सभी सबूतों का अध्ययन किया कि गुरनाम सिंह की मौत के कारण का पता नहीं लगाया जा सका।

यह याचिका खारिज करने का अनुरोध करते हुए जवाब में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के फैसले में कोई खामी नहीं है और इसमें कुछ भी नहीं बल्कि ‘‘एक तर्कसंगत निर्णय को फिर से खोलने के लिए दुर्भावनापूर्ण प्रयास’’ हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 15 मई, 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार देते हुए तीन साल कैद की सजा सुनाने का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कांग्रेस नेता को वरिष्ठ नागरिक को चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया था।

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