विदेश की खबरें | श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति की शक्तियों पर अंकुश लगाने संबंधी प्रस्ताव पेश किया

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कोलंबो, 19 अप्रैल श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने राष्ट्रपति की शक्तियों पर अंकुश लगाने और संसद को सशक्त बनाने के लिए संविधान में 19वें संशोधन को बहाल करने का एक प्रस्ताव मंगलवार को पेश किया। यह प्रस्ताव ऐसे समय में पेश किया गया है, जब श्रीलंका अप्रत्याशित आर्थिक संकट से जूझ रहा है और लोग लगातार सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।

श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजाद होने के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है। देश में विदेशी मुद्रा की भारी कमी हो गई है, जिससे वह खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है। देश में इसको लेकर कई दिनों से प्रदर्शन जारी है और लगातार राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग की जा रही है।

पारंपरिक सिंहली और तमिल नव वर्ष के बाद संसद को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि विभिन्न संकटों का समाधान आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक आधार पर खोजा जाए।

प्रधानमंत्री राजपक्षे ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि संविधान में संशोधन जरूर होना चाहिए। इसकी शुरुआत के तौर पर, 19वें संशोधन को आवश्यक एवं समयबद्ध परिवर्तनों के साथ लागू करना, देश की मौजूदा स्थिति के लिए सबसे अच्छा अल्पकालिक समाधान है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि 19ए को कुछ संशोधनों के साथ एक अल्पकालिक समाधान के रूप में बहाल किया जा सकता है।’’

वर्ष 2015 में अपनाया गया 19ए राष्ट्रपति की शक्तियों को कम करता है और संसद को कार्यकारी राष्ट्रपति से अधिक शक्तियां देता है।

दरअसल महिंदा राजपक्षे के छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे के नवंबर 2019 में राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद 19ए को निरस्त कर दिया गया था। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के आशीर्वाद से हमें भविष्य में व्यापक संवैधानिक सुधार की ओर बढ़ना चाहिए।’’

संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धना ने सदन को बताया कि मौजूदा राजनीतिक संकट को दूर करने को लेकर अल्पकालिक और दीर्घकालिक समाधान तलाशने के लिए कल एक विशेष बैठक की गई थी।

अभयवर्धना ने कहा, ‘‘कई पार्टी नेताओं ने एक दीर्घकालिक उपाय के रूप में नए संविधान का मसौदा तैयार करने और संविधान में 21वें संशोधन को एक अल्पकालिक समाधान के रूप में लाकर संसद को मजबूत करने का आह्वान किया है।’’

पूर्व प्रधानमंत्री एवं यूनाइटेड नेशनल पार्टी के नेता रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘मैं 19वें संशोधन को बहाल करने को लेकर खुश हूं। मेरा बस इतना अनुरोध है कि सम्मानजनक तरीके से, 20वें संशोधन को जल्द से जल्द समाप्त कर दें, ताकि 19वें संशोधन को बहाल किया जा सके।’’

विक्रमसिंघे की सरकार ने ही 19वां संशोधन पेश किया था। सदन की बैठक मंगलवार को जब शुरू हुई, तो सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य रहे लगभग 41 सांसद विपक्षी दलों के स्थान पर बैठे नजर आए। उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन से अलग होने की घोषणा की थी। विपक्ष ने सरकार से सत्ता से हटने की मांग की, प्रदर्शनकारी भी लंबे समय से यही मांग दोहरा रहे हैं।

प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया था कि महिंदा राजपक्षे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संविधान में संशोधन से जुड़ा एक नया प्रस्ताव कैबिनेट के समक्ष पेश कर सकते हैं। प्रधानमंत्री ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के कैबिनेट को एक संवैधानिक संशोधन प्रस्ताव देने की उम्मीद है, जिसमें कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका शामिल होंगे।’’

इस बीच, श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 2020 में रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने, आईएमएफ से देरी से सम्पर्क करने जैसी अपनी गलतियों को सोमवार को स्वीकार किया, जिस कारण देश सबसे खराब आर्थिक संकट से घिर गया। राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि उनकी सरकार को राहत के लिए बहुत पहले ही अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) जाना चाहिए था और आईएमएफ का रुख नहीं करना गलती थी।

उन्होंने अपने नवनियुक्त कैबिनेट मंत्रियों से बातचीत करते हुए कहा कि खेती में रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिबंध लगाने का उनका फैसला ‘‘एक गलती’’ थी और अब सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं।

राजपक्षे ने 2020 के मध्य में जैविक उर्वरक के साथ हरित कृषि नीति लागू करने के लिए उर्वरकों के आयात एवं उनके उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था। किसानों ने इस कदम का विरोध करते हुए कहा था कि इससे फसलों को नुकसान होगा और उत्पादन में कमी आएगी। इसके बावजूद, सरकार ने इस फैसले को आगे बढ़ाया और मुख्य खाद्य पदार्थों की जमाखोरी की खबरों के बाद दुकानदारों और व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई की।

राजपक्षे ने देश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘मैं लोगों की नाराजगी को समझ सकता हूं...उन्हें आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए कतारों में खड़ा होना पड़ रहा है।’’

राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने सोमवार को 17 मंत्रियों की नयी कैबिनेट का गठन किया, जिसमें उनके भाई प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे, उनके परिवार की ओर से एकमात्र सदस्य हैं। इसका तात्पर्य है कि परिवार के सबसे पुराने सदस्य चमल राजपक्षे, महिंदा के पुत्र नमल राजपक्षे के लिए कोई जगह नहीं है।

इस आर्थिक उथल-पुथल के बीच सोमवार से स्टॉक एक्सचेंज को भी एक सप्ताह के लिए बंद कर दिया गया। ‘मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस’ ने मंगलवार को श्रीलंका की सॉवरेन रेटिंग को सीएए2 से सीए कर दिया।

श्रीलंका के वित्त मंत्री अली साबरी ने आईएमएफ की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा से मुलाकात कर अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहे अपने देश के लिए त्वरित वित्तपोषण साधन (आरएफआई) मुहैया कराने का अनुरोध किया।

आईएमएफ के सभी सदस्य देशों के लिए वित्तीय मदद के एक साधन के तौर पर आरएफआई का विकल्प मौजूद रहता है। इसमें भुगतान संतुलन की समस्या का सामना कर रहे सदस्य देशों को एक व्यापक कार्यक्रम न रहते हुए भी त्वरित एवं कम पहुंच वाली वित्तीय मदद दी जाती है।

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