Omicron Scare: क्या आप भी ओमिक्रॉन को मानने है कोरोना का प्राकृतिक टीका, जानें विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि ओमीक्रोन को प्राकृतिक टीका समझने की धारणा ‘‘खतरनाक विचार’’ है, जिसे ऐसे गैरजिम्मेदार लोग फैला रहे हैं, जो कोविड-19 के बाद होने वाली स्वास्थ्य संबंधी दीर्घकालीन परेशानियों पर गौर नहीं करते.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo: Wikimedia Commons)

नयी दिल्ली: विशेषज्ञों का कहना है कि ओमीक्रोन (Omicron Variant) को प्राकृतिक टीका (Vaccine) समझने की धारणा ‘‘खतरनाक विचार’’ है, जिसे ऐसे गैरजिम्मेदार लोग फैला रहे हैं, जो कोविड-19 के बाद होने वाली स्वास्थ्य संबंधी दीर्घकालीन परेशानियों पर गौर नहीं करते. ओमीक्रोन: केन्द्र ने नौ राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों को जांच बढ़ाने का दिया सुझाव

कोरोना वायरस के अन्य स्वरूपों की तुलना में अधिक संक्रामक समझे जाने वाले ओमीक्रोन स्वरूप से संक्रमण के अपेक्षाकृत कम गंभीर मामले सामने आ रहे हैं, इससे संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता कम पड़ती है और इससे लोगों की मौत की संख्या भी अपेक्षाकृत कम है. इन्हीं वजहों से इस धारणा को जन्म मिला है कि यह स्वरूप एक प्राकृतिक टीके की तरह काम कर सकता है.

महाराष्ट्र के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने भी हाल में दावा किया था कि ओमीक्रोन एक प्राकृतिक टीके की तरह काम करेगा और इससे कोविड-19 को स्थानीय महामारी (एन्डेमिक) के चरण में जाने में मदद मिल सकती है.

जाने माने विषाणु वैज्ञानिक शाहिद जमील ने कहा कि ओमीक्रोन को एक प्राकृतिक टीका मानने वाली धारणा एक खतरनाक विचार है, जिसे गैरजिम्मेदार लोग फैला रहे हैं.

उन्होंने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘इस धारणा से बस एक संतुष्टि मिलती है, लेकिन इसका कारण इस समय उपलब्ध सबूतों के बजाय वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई थकान तथा और कदम उठाने की अक्षमता है.’’

उल्लेखनीय है कि भारत में 24 घंटों में 495 ताजा मामले सामने आने के बाद ओमिक्रॉन मामलों की कुल संख्या बढ़कर 2,630 हो गई है, जिसमें महाराष्ट्र और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, कुल मिलाकर, 995 लोग अब तक ठीक हो चुके हैं. 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अब तक इस प्रकार का पता चला है.

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