नई दिल्ली:- उत्तर भारत के कई हिस्सों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चले जाने के साथ ही भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने रविवार को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान के लिए अगले दो दिनों के लिए ‘रेड अलर्ट’ (Red Alert) जारी किया है. मौसम विभाग के क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के प्रमुख कुलदीप श्रीवास्तव ने कहा कि विभाग ने पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए लू के (Heatave ) संबंध में ऑरेंज चेतावनी भी जारी की है. उन्होंने आगाह किया कि अगले दो-तीन दिनों में कुछ हिस्सों में तापमान 47 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है. श्रीवास्तव ने कहा कि यह इस गर्मी के मौसम में पहली बार है जब लू को लेकर रेड अलर्ट जारी किया गया है.
इस मौसम में, तापमान उस तरह से नहीं बढ़ा जैसा कि यह आमतौर पर उत्तरी और मध्य भारत में बढ़ता है और ऐसा अप्रैल माह में काफी बारिश होने की वजह से हुआ जो मध्य मई तक जारी रही.
शनिवार को राजस्थान के पिलानी में 46.7 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. मौसम विभाग ने अपने नियमित बुलेटिन में कहा, अगले पांच दिनों में पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, विदर्भ और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में लू की स्थिति के साथ ही छिटपुट इलाकों में भीषण लू की स्थिति बनी रहेगी. इसने बताया कि छत्तीसगढ़, ओडिशा, गुजरात, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ, तटीय आंध्र प्रदेश, यानम, रायलसीमा और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक के छिटपुट क्षेत्रों में भी अगले तीन-चार दिनों के दौरान भी लू चल सकती है.
लू की स्थिति तब घोषित की जाती है जब अधिकतम तापमान कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस हो और सामान्य तापमान में वृद्धि 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस तक हो. मैदानी क्षेत्रों के लिए, लू की स्थिति तब होती है जब अधिकतम तापमान 45 डिग्री हो और भीषण लू उस वक्त चलती है जब यह 47 डिग्री या उससे अधिक हो. श्रीवास्तव ने कहा कि रेड अलर्ट लोगों को आगाह करने के लिए जारी किया गया है कि वे दोपहर एक बजे से शाम पांच बजे तक घर से बाहर न निकलें क्योंकि उस वक्त धूप की तपिश सबसे अधिक होती है.
मौसम विभाग के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के वैज्ञानिक, नरेश कुमार ने कहा कि शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाओं और तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ के बीच कम दबाव के क्षेत्र के कारण लू से भीषण लू चलने के लिए स्थिति अनुकूल है. कुमार ने कहा कि राहत केवल 28 मई के बाद ही मिल सकती है जब पश्चिमी विक्षोभ के कारण बारिश हो सकती है.