अदालतों में बढ़ते लंबित मामलों की संख्या चिंता की बात: मंत्री किरेन रीजीजू

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है वह चिंताजनक है.

किरेन रिजिजू (Photo Credits: PTI)

रायपुर, 4 जून : केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू (Kiren Rijiju) ने शनिवार को कहा कि देश की विभिन्न अदालतों में लंबित मामलों की संख्या जिस तेजी से बढ़ रही है वह चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि लंबित मामलों में वृद्धि का मतलब यह नहीं है कि मामलों की सुनवाई या निपटारा नहीं किया जा रहा है, बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि नए मामलों की संख्या प्रतिदिन निपटाए जा रहे मामलों की तुलना में दोगुनी है. रीजीजू केंद्रीय सचिवालय भवन, नवा रायपुर अटल नगर में आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) रायपुर खंडपीठ के नए कार्यालय परिसर के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे. रीजीजू ने कहा, ''जब मैंने कानून मंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था तब लगभग 4.50 करोड़ मामले (विभिन्न अदालतों में) लंबित थे और अब यह 4.50 करोड़ से अधिक हो गये हैं.

आगे यह पांच करोड़ तक पहुंच जाएगा. इसका मतलब यह नहीं है कि मामलों का निपटारा नहीं किया जा रहा है, लेकिन नए मामलों की संख्या निपटाये जा रहे मामलों के मुकाबले दोगुनी है. उदाहरण के लिए, यदि कोई उच्च न्यायालय एक दिन में तीन सौ मामलों का निपटारा करता है, तब छह सौ नए मामले सुनवाई के लिए आते हैं.'' उन्होंने कहा, ''इसे बारीकी से समझने की जरूरत है. मामलों के निपटान की दर बढ़ी है और तकनीक के बेहतर उपयोग से मामलों के जल्द निपटान में मदद मिल रही है. लेकिन जिस गति से लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है वह चिंताजनक है. व्यापार बढ़ रहा है इसलिए विवाद बढ़ रहे हैं. व्यापार नहीं होगा तो कोई मामला नहीं होगा. एक तरह से यह सकारात्मक बात है लेकिन इसका कोई न कोई समाधान होना चाहिए.'' यह भी पढ़ें : अमरीन भट की हत्या को सही ठहराते हुए वीडियो डालने के आरोप में व्यक्ति पर मामला दर्ज

उन्होंने इस दौरान आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण की भी सराहना की और कहा कि इसने लॉकडाउन के दौरान लंबित मामलों की संख्या कम की है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, ''न्याय समय पर मिलना चाहिए, देरी से मिले न्याय का कोई मूल्य नहीं है.’’ उन्होंने कहा, ''उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के साथ मेरी बातचीत के दौरान मैंने स्पष्ट रूप से कहा कि हम (उनका मंत्रालय) सभी तरह से सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि लोगों को समय पर न्याय मिले. न्याय और आम लोगों के बीच कोई दूरी नहीं होनी चाहिए." रीजीजू ने कहा, ''जल्द ही हम लंबित मामलों का ऑनलाइन विवरण रखेंगे. जैसे किस अदालत में मामले की सुनवाई हो रही है और कब से मामला लंबित है, लंबित होने का कारण, सुनवाई किस पीठ में हो रही है तथा अधिवक्ताओं का क्या नाम है. इससे जजों और वकीलों पर दबाव पड़ेगा."

उन्होंने यह भी बताया कि ई-अदालत से संबंधित बड़ा प्रस्ताव विचाराधीन है. केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान अदालत में स्थानीय ओं के प्रयोग पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा, ''मैंने बचपन से देखा है कि हमारे देश में अंग्रेजी जानने वाले कुछ लोग सोचते हैं कि वे बड़े हैं, स्मार्ट हैं और ज्ञानी हैं. अंग्रेजी के साथ-साथ अन्य एं सीखना भी अच्छा है. इसमें कोई नुकसान नहीं है. दिल्ली में देखा गया है, अच्छी अंग्रेजी जानने वाले वकीलों को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में बड़े केस मिलते हैं लेकिन जो नहीं जानते हैं उन्हें केस नहीं मिलते हैं. यह अच्छा नहीं है. आप उन्हें केस नहीं देते क्योंकि वे अंग्रेजी नहीं जानते हैं, यह मानसिकता बहुत खराब है. ट्रिब्यूनल में अनुवाद का प्रावधान होना चाहिए.''

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