ताजा खबरें | पूंजीपतियों की समर्थक है सरकार, देश की 40 प्रतिशत संपत्ति केवल एक प्रतिशत आबादी के हाथों में : सूरजेवाला
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नीत केंद्र सरकार पूंजीपतियों का समर्थन कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप देश की 40 प्रतिशत संपत्ति केवल एक प्रतिशत आबादी के हाथों में केंद्रित है।
नयी दिल्ली, 16 दिसंबर कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सोमवार को आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) नीत केंद्र सरकार पूंजीपतियों का समर्थन कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप देश की 40 प्रतिशत संपत्ति केवल एक प्रतिशत आबादी के हाथों में केंद्रित है।
‘भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर चर्चा में भाग लेते हुए सुरजेवाला ने राज्यसभा में कहा कि देश में एक किसान की रोजाना की कमाई महज 27 रुपये है, जबकि सत्तारूढ़ दलों के एक उद्योगपति मित्र ने प्रतिदिन 1,400 करोड़ रुपये कमाए।
उन्होंने कहा, ‘‘140 करोड़ लोगों के इस देश में, एक प्रतिशत आबादी के पास देश की 40 प्रतिशत संपत्ति है। हम देश में बढ़ती वित्तीय असमानताओं के साथ फिर से औपनिवेशिक शासन में पहुंच गए हैं।’’
उन्होंने कहा कि बड़े औद्योगिक घरानों को 16 लाख करोड़ रुपये की कर्ज माफी दी गई, लेकिन मध्यम वर्ग के लोगों की कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर या छोटे फ्लैट जैसी संपत्तियों की नीलामी की गई, ताकि उनका कर्ज वसूला जा सके।
उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने सत्ता में बैठे लोगों द्वारा कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के बारे में चिंता व्यक्त की थी।
सुरजेवाला ने कहा कि डॉ. आंबेडकर सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को लेकर भी चिंतित थे और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया था।
कांग्रेस सदस्य ने देश के सामने तीन प्रमुख चिंताओं सांप्रदायिकता, निरंकुशता और आर्थिक असमानता को रेखांकित किया।
सुरजेवाला ने कहा, ‘‘बाबासाहेब ने कहा था कि जब लोग प्रशंसा में गीत गाना शुरू करते हैं और एक व्यक्ति को आदर्श मानते हैं, तो यह निरंकुशता का संकेत है।’’
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार कृषि आय को दोगुना करने, लोगों को कोविड से बचाने, सांप्रदायिकता और नक्सलवाद को रोकने और धन असमानता के अंतर को पाटने में विफल रही।
उन्होंने कहा कि वे (वर्तमान सरकार) सोचते हैं कि संविधान देश में विरोधियों को दबाने और निर्वाचित सरकारों को तोड़ने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और आयकर विभाग के उपयोग के बारे में है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सुधांशु त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि जो लोग मनु स्मृति के बारे में बात करते हैं, उन्होंने संविधान को 'शरिया संविधान’ में बदलने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि आज सवाल मनु स्मृति बनाम संविधान का नहीं है, यह संविधान पर बाबासाहेब की पहचान या संविधान पर शरीयत के हस्ताक्षर का है।
उन्होंने विपक्ष को चुनौती देते हुए कहा, ‘‘मैं अपना बयान वापस ले लूंगा, बस चार ऐसे देशों (धर्मनिरपेक्ष) के नाम बताइए, जहां शरिया संविधान से ऊपर है।’’
त्रिवेदी ने कहा कि राजग सरकार मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। इस क्रम में उन्होंने उस्ताद जाकिर हुसैन को पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किए जाने का उदाहरण दिया।
उन्होंने कहा कि यह राजग की सरकार थी, जिसने एपीजे अब्दुल कलाम को भारत का राष्ट्रपति बनाया था।
बीजू जनता दल (बीजद) के मुजीबुल्ला खान और अन्नाद्रमुक के एम थंबीदुरई, तृणमूल कांग्रेस के समीरुल इस्लाम औरमार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विकास रंजन भट्टाचार्य ने भी इस दो दिवसीय चर्चा में हिस्सा लिया।
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