गोरखपुर की घटना को पर्दे पर लाने के फैसले ने मुझे प्रभावित किया: कफील
डॉ कफील खान ने ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘‘जवान’’ के जरिए से गोरखपुर की दुखद घटना पर प्रकाश डालने लिए सुपरस्टार शाहरुख खान का आभार व्यक्त किया है।
नयी दिल्ली,5 अक्टूबर: डॉ कफील खान ने ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘‘जवान’’ के जरिए से गोरखपुर की दुखद घटना पर प्रकाश डालने लिए सुपरस्टार शाहरुख खान का आभार व्यक्त किया है. कफील को 2017 में गोरखपुर में ‘इंसेफेलाइटिस’ के कारण हुई बच्चों की मौत के मामले में जेल जाना पड़ा था. सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर कफील ने कहा कि वह कुछ समय से शाहरुख से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि ‘‘महत्वपूर्ण सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को पर्दे पर लाने की असाधारण प्रतिबद्धता’’ के लिए उनका आभार व्यक्त कर सकूं.
उन्होंने अभिनेता को संबोधित करते हुए एक पत्र ‘एक्स’ पर साझा किया. कफील ने लिखा, ‘‘गोरखपुर की दुखद इंसेफेलाइटिस घटना से जुड़े फिल्म के मार्मिक चित्रण ने मेरे दिल पर एक अमिट छाप छोड़ी है। इस कहानी को पर्दे पर लाने के आपके फैसले ने मुझे बहुत प्रभावित किया है.’’ पिछले महीने सात सितंबर को प्रदर्शित हुई ‘जवान’ फिल्म के एक भाग में दिखाया गया है कि जब एक सरकारी अस्पताल में काफी संख्या में बुखार से पीड़ित बच्चे भर्ती होते हैं तो एक चिकित्सक ऑक्सीजन आपूर्ति की व्यवस्था के लिए काफी संघर्ष करती है, लेकिन बच्चों की मौत हो जाती है और उनकी मौत के लिए चिकित्सक को ही जिम्मेदार ठहराकर जेल में डाल दिया जाता है.
फिल्म में चिकित्सक का किरदार सान्या मल्होत्रा ने निभाया है.
दर्शक फिल्म के इस भाग और डॉ कफील खान के मामले को जोड़कर देख रहे हैं. कफील खान को गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से हुई 63 बच्चों की मौत के बाद कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में जेल भेज दिया गया था. बाद में एक सरकारी जांच में उन्हें आरोपों से मुक्त कर दिया गया. उन्होंने कहा, ‘‘यह देखकर खुशी हुई कि फिल्म में 'गोरखपुर अस्पताल घटना' के असली अपराधी को पकड़ लिया गया, हालांकि दुख की बात है कि वास्तविक जीवन में असली अपराधी खुलेआम घूम रहे हैं, और मैं अब भी अपनी नौकरी वापस पाने के लिए संघर्ष कर रहा हूं, और अपने बच्चों को खोने वाले 63 माता-पिता भी न्याय का इंतजार कर रहे हैं.’’ डॉ कफील खान ने अपनी पुस्तक "द गोरखपुर हॉस्पिटल ट्रेजेडी" पर भी प्रकाश डाला और उनका मानना है कि ‘‘फिल्म का एक भाग पुस्तक में विस्तृत घटनाओं से मेल खाता है.’’
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