कोलकाता, 26 सितंबर: आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच में पता चला है कि अस्पताल और कई अन्य सरकारी चिकित्सा प्रतिष्ठानों के चिकित्सा अपशिष्ट का निपटारा करने वाली कंपनी के पास एक भी ट्रीटमेंट प्लांट (उपचार संयंत्र) नहीं था. सीबीआई के एक अधिकारी ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी.
इस कंपनी को 2019 में यह अनुबंध मिला था.
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारी ने कहा कि नियमों के उल्लंघन के कारण 2023 में पश्चिम बंगाल सरकार ने अनुबंध समाप्त कर दिया था. हालांकि इससे पहले ही कंपनी ने अपने एक निवेशक और कोलकाता के एक व्यापारिक परिवार के परिसर से परिचालन शुरू कर दिया था.
राज्य सरकार के एक सूत्र ने कहा कि बाद में कंपनी ने दिल्ली स्थित एक कंपनी जो कि उत्तर प्रदेश में एक उपचार संयंत्र संचालित करती है, से करार किया और फिर अनुबंध हासिल कर लिया.
अस्पताल के एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिदिन लगभग 500-600 किलोग्राम वजन की इस्तेमाल की जा चुकी सिरिंज, रबर के दस्ताने, हाथ के दस्ताने और सलाइन की बोतलें निस्तारण के लिए कंपनी को भेजी जाती थीं.
एक पूर्व नौकरशाह के अनुसार, कंपनी को नियमों के अनुसार अनुबंध दिया गया था और उसने दावा किया था कि वह पर्यावरण विभाग से मंजूरी मिलने के चार महीने के भीतर अपेक्षित बुनियादी ढांचा स्थापित कर लेगी.
सूत्रों ने बताया कि हालांकि कंपनी ने अपेक्षित बुनियादी ढांचा तैयार नहीं किया है. राज्य के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए कई बार की गई 'कॉल' का जवाब नहीं दिया.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)