देश की खबरें | सदन की समिति ने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष पद का चुनाव ध्वनि मत से कराने का दिया सुझाव

मुंबई, 22 दिसंबर महाराष्ट्र विधानसभा की विधायी नियमों की समिति ने सिफारिश की है कि अध्यक्ष पद का चुनाव गुप्त मतदान के बजाय ध्वनि मत के जरिए कराया जाए।

राज्य विधान मंडल के पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र के पहले दिन बुधवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने समिति की रिपोर्ट सदन में पेश की।

महाराष्ट्र सरकार ने विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें विधायी नियम समिति की रिपोर्ट पर आपत्तियां तथा सुझाव पेश करने की समय सीमा को 10 दिन से घटाकर एक दिन कर दिया गया है।

यह प्रस्ताव चव्हाण द्वारा पेश किया गया, जिनकी पार्टी राज्य में सत्तारूढ़ महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में शामिल है। महाराष्ट्र में शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस की गठबंधन सरकार है।

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई और विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि एमवीए ‘‘सबसे असुरक्षित सरकार’’ है।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ अगर आप कहते हैं कि आपके पास पूर्ण बहुमत है, तो डर क्यों रहे हैं? अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए कोई व्हिप नहीं है। अगर सरकार चुनाव हार भी जाती है, तो वह सत्ता से बाहर नहीं हो जाएगी।’’

भाजपा के नेता सुधीर मुंगतीवार ने आश्चर्य जताया कि आखिर सरकार नियमों में बदलाव क्यों करना चाहती है, जबकि वह अध्यक्ष के चुनाव पर आम सहमति के लिए विपक्ष से सलाह ले सकती थी।

विपक्ष ने समिति के प्रस्ताव पर मतदान की मांग की, लेकिन सदन में इसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इसके विरोध में फडणवीस के नेतृत्व में कुछ विपक्षी सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया, लेकिन मुंगतीवार सदन में ही रहे।

राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि विपक्ष के बहिर्गमन को कार्यवाही में दर्ज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि मुंगतीवार सदन में ही मौजूद थे।

राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि 10 दिन की अवधि (विधायी नियम समिति की रिपोर्ट पर सुझाव और आपत्ति के लिए) को घटाकर एक दिन कर दिया गया है, क्योंकि कोविड-19 के कारण सदन की कार्यवाही की अवधि भी कम कर दी गई है।

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान अध्यक्ष का चुनाव होना है। नाना पटोले के कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के लिए इस्तीफा देने के बाद से, यह पद इस साल फरवरी से खाली है।

इससे पहले, राज्य में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव हमेशा सर्वसम्मति से होता आया है।

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