दिल्ली: केंद्र ने राज्य सरकारों से राशन की दुकानों में काम करने वालों और फेरीवालों की जांच कराने का किया आग्रह

राशन की दुकानों पर काम करने वाले, सब्जी विक्रेताओं और फेरीवालों के जरिए कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंकाओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन लोगों की जांच करने की सलाह दी है ताकि संक्रमण के मामलों का जल्द पता लगाया जा सके और मृत्यु दर में कमी आ सके.

कोरोना से जंग (Photo Credit-PTI)

नई दिल्ली, 8 अगस्त: राशन की दुकानों पर काम करने वाले, सब्जी विक्रेताओं और फेरीवालों के जरिए कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण के तेजी से फैलने की आशंकाओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इन लोगों की जांच करने की सलाह दी है ताकि संक्रमण के मामलों का जल्द पता लगाया जा सके और मृत्यु दर में कमी आ सके. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को लिखे एक पत्र में, स्वास्थ्य मंत्रालय (Health Ministry) के सचिव राजेश भूषण ने ऑक्सीजन की सुविधा और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली वाले एंबुलेंस परिवहन तंत्र की आवश्यकता पर जोर दिया.

उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि एंबुलेंसों की मनाही दर की नियमित रूप से रोजाना के आधार पर निगरानी की जानी चाहिए और इसे घटाकर शून्य करना होगा. अब देश के नये इलाकों में भी कोविड-19 वैशविक महामारी के फैलने को देखते हुए भूषण ने कहा जिलों में संक्रमित व्यक्ति फैले हो सकते हैं, एक ही स्थान पर कुछ मामले हो सकते हैं या फिर इन जिलों में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हो सकते हैं इसलिए इन नए क्षेत्रों में महामारी को नियंत्रित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए.

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उन्होंने कहा, "ध्यान इस बात पर भी होना चाहिए कि किसी भी कीमत पर लोगों की जान बचानी है." अतिरिक्त मुख्य सचिवों, मुख्य सचिवों और सचिव(स्वास्थ्य) को लिखे पत्र में भूषण ने कहा, "इस संबंध में हमने कई देशों की तुलना में बेहतर कदम उठाए हैं, फिर भी हमारा लक्ष्य है कि संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर एक प्रतिशत से अधिक ना होने पाए." उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक जांच से संक्रमण के मामले जल्दी सामने आएंगे और उन्हें जल्द से जल्द पृथक कर उपचार दिया जाएगा जिससे मृत्यु दर में कमी आएगी.

उन्होंने पत्र में लिखा, "संक्रमण के मरीजों का जल्दी पता चलना मृत्यु दर कम करने में सबसे अधिक सहायक हो सकता है. इससे ना केवल मामला गंभीर होने से पहले उपचार दिया जा सकता है बल्कि इससे संक्रमण के प्रसर का पता लगाने में भी मदद मिलेगी." भूषण ने इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों या श्वसन संबंधी बीमारियों के लक्षण वालों की निगरानी करने पर जोर दिया क्योंकि ये लक्षण कोरोना वायरस संक्रमण के भी हो सकते हैं.

उन्होंने कहा कि एक संक्रमित मरीज मिलने के 72 घंटों के भीतर मरीज के संपर्क में आने वाले 80 प्रतिशत लोगों की पता लगाकर उनकी जांच करनी होगी. भूषण ने कहा कि आम तौर पर एक व्यक्ति लक्षण दिखने से पहले औसतन 30 लोगों के संपर्क में आता है.

उन्होंने कहा, "जहां लोग करीब से काम करते हैं या जो संक्रमण से अधिक प्रभावित क्षेत्र से आते हैं और गंदी बस्तियों, जेलों, वृ्द्धाश्रमों जैसे अधिक जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों से आने वाले लोगों के कारण ऐसे स्थानों पर संक्रमण के प्रसार की आशंका अधिक होती है." भूषण ने कहा, "इसके अलावा राशन की दुकानें, सब्जी एवं अन्य विक्रेता कई लोगों में संक्रमण फैलाने के जिम्मेदार हो सकते हैं. ऐसे इलाकों और ऐसे लोगों की जांच आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सक्रियता से की जानी चाहिए."

इसके अलावा उन्होंने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हर हफ्ते होने वाली मौतों का लेखा-जोखा भी रखने को कहा है ताकि मृत्यु के निर्धारक जैसे आयु, अन्य गंभीर बीमारियों, अस्पतालों में देर से भर्ती और पालन किए गए क्लिनिकल प्रोटोकॉल आदि का आकलन किया जा सके.

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